हरियाणा सरकार का नया कदम: परिवार पहचान पत्र में आय सत्यापन में बदलाव
सरकारी योजनाओं का लाभ अब अधिक परिवारों तक पहुंचेगा
हरियाणा सरकार ने उन पात्र व्यक्तियों को राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो सरकारी योजनाओं से वंचित रह गए थे। इस निर्णय के तहत, परिवार पहचान पत्र (PPP) में आय सत्यापन की प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा। नागरिक संसाधन सूचना विभाग (CRID) ने पोर्टल पर आय से संबंधित नए विकल्प जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आय सत्यापन में बदलाव की आवश्यकता
पहले, PPP में आय की श्रेणियां सीमित थीं, जिससे कई परिवारों की वास्तविक आय और पोर्टल पर उपलब्ध विकल्पों के बीच बड़ा अंतर होता था। इस कारण पात्र व्यक्ति योजनाओं से बाहर हो जाते थे, और बुजुर्गों तथा जरूरतमंदों को पेंशन नहीं मिल पाती थी। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि यह स्थिति वास्तविकता से मेल नहीं खा रही थी, इसलिए बदलाव आवश्यक था।
नए आय विकल्पों का समावेश
CRID के अधिकारियों ने घोषणा की है कि जल्द ही PPP पोर्टल पर नई वार्षिक आय श्रेणियां जोड़ी जाएंगी। इनमें 1 लाख 25 हजार रुपये और 2 लाख 50 हजार रुपये वार्षिक आय के विकल्प शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, 1 लाख 80 हजार से 3 लाख रुपये के बीच भी नए विकल्प जोड़े जाएंगे, जिससे आय का सही आकलन संभव होगा।
बुजुर्गों को मिलेगा सीधा लाभ
इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ बुजुर्ग नागरिकों को होगा। कई मामलों में, बुजुर्गों की अपनी कोई आय नहीं होती, लेकिन परिवार की कुल आय जुड़ने से उनकी पेंशन रुक जाती है। सरकार अब इस पर विचार कर रही है कि बुजुर्गों की पात्रता तय करते समय परिवार की आय को अलग रखा जाए।
पारदर्शिता और सही लाभार्थियों की पहचान
सरकार का कहना है कि नए आय विकल्पों से योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचेगा। इससे यह पहचान करना आसान होगा कि कौन वास्तव में पात्र है और जो लोग गरीबी रेखा में नहीं आते, लेकिन लाभ ले रहे हैं, उनकी पहचान हो सकेगी। इससे सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और भरोसा बढ़ेगा।
आगे की प्रक्रिया
CRID विभाग जल्द ही इन बदलावों को PPP पोर्टल पर लागू करेगा। इसके बाद नागरिक अपनी फैमिली आईडी अपडेट कर सकेंगे और नई आय श्रेणी के अनुसार योजनाओं के लिए आवेदन कर सकेंगे।
इस बदलाव का महत्व
यह बदलाव जरूरतमंद लोगों को योजनाओं से बाहर होने से रोकेगा, बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेगा और सरकारी सहायता को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाएगा। प्रशासनिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम डिजिटल गवर्नेंस को अधिक संवेदनशील और व्यावहारिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
