हिंद महासागर में अमेरिका की सैन्य तैनाती: क्या चीन की गतिविधियों पर पड़ेगा असर?

हिंद महासागर में बढ़ता तनाव
Military Deployment in Indian Ocean: हिंद महासागर, जो वैश्विक रणनीति और व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, एक बार फिर विश्व शक्तियों के बीच तनाव का गवाह बन रहा है. अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी को और मजबूत करते हुए डिएगो गार्सिया जैसे प्रमुख ठिकानों पर बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस बमवर्षक, एफ-15 स्ट्राइक ईगल लड़ाकू विमान और केसी-135 टैंकर विमानों की तैनाती की है. यह कदम न केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है. इस तैनाती ने न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनाव को बढ़ाया है, बल्कि चीन की गतिविधियों पर भी सवाल उठाए हैं. क्या चीन इस क्षेत्र में अमेरिका की बढ़ती सैन्य उपस्थिति पर नजर रख रहा है?
अमेरिका की रणनीतिक तैनाती
डिएगो गार्सिया में भारी सैन्य मौजूदगी का हाल सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि डिएगो गार्सिया, जो अमेरिका और ब्रिटेन का संयुक्त सैन्य अड्डा है, में चार बी-52एच स्ट्रैटोफोर्ट्रेस बमवर्षक, छह एफ-15ई स्ट्राइक ईगल लड़ाकू विमान, चार केसी-135आर टैंकर, दो सी-17ए ग्लोबमास्टर III और एक सी-5एम सुपर गैलेक्सी तैनात किए गए हैं. यह तैनाती हिंद महासागर में अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी सैन्य उपस्थिति में से एक मानी जा रही है.
चीन की नजर
क्या है ड्रैगन की रणनीति? हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक और जासूसी गतिविधियों को बढ़ाने में लगा है. इस तैनाती को संभावित खतरे के रूप में देख जा रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका की यह रणनीति न केवल क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह चीन को एक स्पष्ट संदेश भी दे रही है. डिएगो गार्सिया की सामरिक स्थिति इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु बनाती है, जहां से अमेरिका न केवल चीन, बल्कि ईरान और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों पर भी नजर रख सकता है.
क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक प्रभाव
हिंद महासागर में अमेरिका की यह तैनाती ऐसे समय आ खड़ी हुई है जब वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव पहले से ही चरम पर है.
अमेरिकी रणनीति में डिएगो गार्सिया की बढ़ती भूमिका
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डिएगो गार्सिया, हिंद महासागर में स्थित अमेरिका का रणनीतिक सैन्य अड्डा, अमेरिकी सैन्य रणनीति में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. मार्च 2025 से इस अड्डे पर सैन्य गतिविधियों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जो न केवल मध्य पूर्व बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी अमेरिका की रणनीतिक स्थिति को मजबूत कर रही है. मई 2025 में, अमेरिकी वायु सेना ने पुष्टि की थी कि बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बमवर्षक डिएगो गार्सिया में तैनात किए गए थे. इसके कुछ ही हफ्तों बाद, 13 जून को, इन बी-2 बमवर्षकों ने "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" नामक एक गोपनीय रात्रिकालीन मिशन में हिस्सा लिया, जिसमें ईरान के तीन गहरे भूमिगत परमाणु ठिकानों फोर्डो, नटंज़, और इस्फहान को निशाना बनाया गया. इस हमले में धोखे, हवाई ईंधन भरने, और रेडियो साइलेंस की रणनीति अपनाई गई, जिसमें प्रशांत महासागर की ओर डिकॉय उड़ानें भेजकर असली लक्ष्य को छिपाया गया. मिसौरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से सात बी-2 बमवर्षकों ने उड़ान भरी और एक दर्जन से अधिक 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम गिराए, जो हाल के अमेरिकी इतिहास में सबसे महत्वाकांक्षी स्टील्थ हमलों में से एक था.