हिंदी दिवस 2025: महत्व और इतिहास

हिंदी दिवस का महत्व और इतिहास
हिंदी दिवस 2025: हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसे देश की बड़ी जनसंख्या बोलती है। विशेष रूप से उत्तरी भारत में, हिंदी का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है। यह न केवल एक भाषा है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है और यह राजभाषा के रूप में सरकारी और निजी कार्यों में उपयोग होती है। हिंदी को मातृभाषा माना जाता है, लेकिन अक्सर हिंदी बोलने वालों को समाज में कम पढ़ा-लिखा समझा जाता है। इस दिन का उद्देश्य हिंदी भाषा के उत्थान, सम्मान और स्तर को बढ़ाना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं।
14 सितंबर को हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं?
हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का कारण यह है कि 1949 में इसी दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। देश के नेताओं ने इसे जनता की भाषा मानते हुए इसके प्रचार-प्रसार पर जोर दिया और इसे राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। संविधान के अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को यह दर्जा मिला। यह ध्यान देने योग्य है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि यह राजभाषा है। हालांकि, इसे मातृभाषा कहा जाता है क्योंकि यह कई लोगों के लिए जन्म से बोली जाने वाली भाषा है।
क्या हिंदी दिवस मनाना प्रासंगिक है?
हिंदी दिवस की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी का महत्व केवल कागजी कार्यों तक सीमित न रहे। युवा अक्सर महसूस करते हैं कि जब वे हिंदी बोलते हैं, तो उन्हें कम पढ़ा-लिखा समझा जाता है, जबकि अंग्रेजी बोलने वालों को अधिक समझदार माना जाता है। जब तक किसी भाषा को समझदारी का प्रतीक माना जाएगा, तब तक हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता बनी रहेगी। इसके अलावा, साहित्य के क्षेत्र में भी हिंदी का स्तर गिरता हुआ दिखाई दे रहा है। जहां अंग्रेजी उपन्यासों का बोलबाला है, वहीं हिंदी लेखन को कम महत्व दिया जा रहा है। इसलिए, हिंदी के स्तर को बढ़ाने और इसे अन्य भाषाओं के समान सम्मान देने के लिए हर साल हिंदी दिवस मनाना आवश्यक है।