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हिमाचल प्रदेश का ग्रीन एनर्जी में तेजी से विकास: 500 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य

हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 2026 तक 500 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने बताया कि राज्य की सभी पंचायतों में सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। इस पहल से न केवल ऊर्जा की आवश्यकता पूरी होगी, बल्कि अनाथ बच्चों और विधवाओं की सहायता के लिए भी राजस्व का उपयोग किया जाएगा। जानें इस दिशा में और क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
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हिमाचल प्रदेश का ग्रीन एनर्जी में तेजी से विकास: 500 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य

हिमाचल प्रदेश की ऊर्जा स्वावलंबन की दिशा में कदम

-आगामी दो वर्षों में 500 मेगावाट सौर क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य


शिमला: ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हुए, हिमाचल प्रदेश ग्रीन एनर्जी स्टेट के रूप में अपनी पहचान बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां बताया कि राज्य सरकार ने मार्च 2026 तक 90 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नवीकरणीय स्रोतों से पूरी करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में, राज्य की वार्षिक ऊर्जा खपत लगभग 13,000 मिलियन यूनिट है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की हरित पहलों के कारण सौर ऊर्जा के उपयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अगले दो वर्षों में 500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। 'ग्रीन पंचायत कार्यक्रम' के तहत सभी पंचायतों में 500 किलोवाट क्षमता की ग्राउंड-माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी। पहले चरण में 24 ग्राम पंचायतों में इन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 16 पंचायतों में कार्य शुरू हो चुका है। इस कार्यक्रम के तहत 150 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।


मुख्यमंत्री ने बताया कि इन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली से अर्जित 20 प्रतिशत राजस्व का उपयोग राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के अनाथ बच्चों और विधवाओं की सहायता के लिए किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि ऊना जिले की पेखूबेला सौर ऊर्जा परियोजना ने 15 अप्रैल 2024 को वाणिज्यिक संचालन शुरू किया, जिससे अब तक 79.03 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है और 22.91 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है। ऊना जिले की अघलौर सौर ऊर्जा परियोजना ने 21 मई, 2025 से बिजली उत्पादन शुरू किया है, जिससे अब तक 5.89 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ है।


वर्तमान में, 31 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली तीन सौर ऊर्जा परियोजनाएं निष्पादन चरण में हैं, जबकि 41 मेगावाट क्षमता वाली चार सौर परियोजनाओं की निविदाएं की गई हैं। इसके अतिरिक्त, कांगड़ा जिले के डमटाल क्षेत्र में 200 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र भी स्थापित किया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के दुर्गम गांवों में 148 घरों में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत सोलर ऑफ-ग्रिड सिस्टम लगाए गए हैं।


इसके अलावा, 'पहले आओ, पहले पाओ' नीति के तहत 250 किलोवाट से 5 मेगावाट तक की सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड द्वारा खरीदा जाएगा। अब तक 547 निवेशकों को 595.97 मेगावाट की क्षमता वाली ग्राउंड-माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटित की जा चुकी हैं।


इसके अतिरिक्त, हिमऊर्जा द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड को 728.4 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटित की गई हैं।


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रीन हाइड्रोजन, कंप्रेस्ड बायोगैस, भू-तापीय ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में वैकल्पिक ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इन निरंतर और व्यापक पहलों के माध्यम से राज्य सरकार 2026 तक हिमाचल को देश के अग्रणी ग्रीन एनर्जी राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।