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हिमाचल प्रदेश में पंचायत पुनर्गठन से चुनावों पर संकट

हिमाचल प्रदेश कैबिनेट के हालिया निर्णय ने पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, जिससे दिसंबर में होने वाले चुनावों में देरी की आशंका बढ़ गई है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह निर्णय चुनावी तैयारियों को प्रभावित कर सकता है। विपक्ष ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि यह चुनावों में और देरी का कारण बन सकता है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा जा रहा है।
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हिमाचल प्रदेश में पंचायत पुनर्गठन से चुनावों पर संकट

पंचायती राज विभाग की नई पहल

शिमला- हाल ही में हिमाचल प्रदेश कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के बाद, पंचायती राज विभाग ने राज्य में पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इस संदर्भ में, विभाग ने सभी उपायुक्तों को निर्देशित किया है कि वे 15 दिनों के भीतर पंचायत पुनर्गठन के प्रस्ताव निदेशालय को भेजें।


पुनर्गठन की प्रक्रिया

पिछले वर्ष, विभाग ने पंचायतों से पुनर्गठन के प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से अधिकांश को सरकार को भेजा गया था। कई क्षेत्रों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उस समय यह देखा गया था कि कुछ पंचायतों की सीमाएं एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में फैली हुई थीं, जिन्हें बाद में एक ही विधानसभा क्षेत्र में समायोजित किया गया। विभाग ने बताया कि कुछ प्रस्ताव लंबित रह गए थे और समय पर पुनर्गठन प्रस्ताव नहीं भेजे जा सके। जैसे ही शेष प्रस्ताव प्राप्त होंगे, सरकार अंतिम निर्णय लेगी।


चुनावों में देरी की आशंका

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह निर्णय दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनावों में देरी का कारण बन सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही मतदाता सूची सहित अधिकांश चुनावी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। फिर भी, सुक्खु सरकार की नई पंचायतों के गठन की पहल ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निर्वाचन आयोग ने लगभग एक वर्ष पहले सरकार से अनुरोध किया था कि चुनाव समय पर कराने के लिए पुनर्गठन प्रक्रिया को पहले पूरा किया जाए। पंचायती राज विभाग ने भी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए थे कि 25 सितंबर तक आरक्षण रोस्टर तैयार कर लिया जाए।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री बार-बार यह आश्वासन दे रहे थे कि पंचायत चुनाव समय पर होंगे, लेकिन अब पुनर्गठन का नया आदेश जारी करना उस दावे के विपरीत है। ठाकुर ने कहा कि पुनर्गठन के बाद जनता की आपत्तियाँ और दावे आमंत्रित करने की प्रक्रिया भी होगी, जिससे चुनाव में और देरी होगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चुनाव से 90 दिन पहले प्रकाशित होने वाला आरक्षण रोस्टर अब तक जारी नहीं किया गया है।


चुनाव की तैयारी

यह ध्यान देने योग्य है कि दिसंबर में हिमाचल प्रदेश की 3,577 पंचायतों में प्रधान, उप-प्रधान, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और ज़िला परिषद सदस्य के चुनाव होने हैं। इसके साथ ही 73 नगर पंचायतों, नगर परिषदों और नगर निगमों में भी मतदान कराया जाएगा।