हिमाचल प्रदेश में मानसून ने मचाई तबाही, राहत कार्यों में बढ़ी चुनौतियाँ
हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर
हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष मानसून ने केवल बारिश ही नहीं, बल्कि व्यापक तबाही भी लाई है। लगातार हो रही मूसलधार बारिश, बादल फटने की घटनाएं, और अचानक आई बाढ़ ने लोगों की दिनचर्या को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जीवन ठप सा हो गया है, जबकि प्रशासन पर राहत कार्यों को तेज़ करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।मंडी और कुल्लू जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। राज्य के कई जिलों में सड़कों का संपर्क टूट गया है। मंडी जिले में अकेले 220 से अधिक सड़कें मलबे और भूस्खलन के कारण बंद हो चुकी हैं। कुल्लू में भी स्थिति गंभीर है, जहां 91 सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। इससे न केवल स्थानीय परिवहन बाधित हुआ है, बल्कि आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच भी मुश्किल हो गई है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि हालात और बिगड़ सकते हैं। शिमला स्थित मौसम विभाग ने रविवार के लिए ‘येलो अलर्ट’ और सोमवार से बुधवार तक ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है। इसका मतलब है कि भारी से बहुत भारी बारिश और गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं। कुछ क्षेत्रों में तेज़ हवाओं की भी संभावना है, जो राहत कार्यों को और कठिन बना सकती हैं।
अब तक वर्षा जनित घटनाओं में 112 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 37 लोग लापता हैं। सैकड़ों परिवारों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है और कई लोग राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है—704 पावर ट्रांसफार्मर और 178 जलापूर्ति योजनाएं ठप हो गई हैं।
20 जून से शुरू हुए इस मानसून सीज़न में हिमाचल को लगभग ₹1,988 करोड़ का सीधा आर्थिक नुकसान हुआ है। 58 बार अचानक बाढ़, 30 बादल फटने की घटनाएं और 53 बड़े भूस्खलन इस नुकसान का कारण बने हैं। इन आपदाओं ने न केवल बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया है, बल्कि लोगों की आजीविका और मानसिक स्थिति पर भी गहरा असर डाला है।
राज्य में अब तक 503 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य औसत (445.7 मिमी) से 13% अधिक है। यह अधिक वर्षा पहाड़ी ढलानों पर भूस्खलन और जलभराव का मुख्य कारण बन रही है। मौसम विभाग के अनुसार, बारिश का सिलसिला अगले कुछ दिनों तक और तेज़ हो सकता है।