हीराबेन: नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और सेवा का प्रतीक

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राष्ट्रीय समाचार: हीराबेन का जीवन अत्यंत साधारण था। वे अक्सर मंदिर जाकर वहां बर्तन धोकर दूसरों की सेवा करती थीं। गरीबों को भोजन कराना उनकी आदत थी। उन्होंने कभी भी प्रसिद्धि की परवाह नहीं की। उनके लिए सेवा ही सबसे बड़ी पूजा थी। यही संस्कार नरेंद्र मोदी के मन में बचपन से ही गहरे बसे हुए थे। उनकी मां की मेहनत और सादगी उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। हीराबेन का परिवार धनवान नहीं था, लेकिन इसके बावजूद वे हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करती थीं। पड़ोसियों को खाना देना या मंदिर में दान करना उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था। नरेंद्र मोदी ने बचपन से देखा कि गरीबी इंसानियत को नहीं रोक सकती। उन्होंने यह सीखा कि इंसान की पहचान उसके कार्यों से होती है, न कि धन से।
मां से सीखी विनम्रता
हीराबेन ने अपने बेटे को हमेशा विनम्रता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि बड़ा बनने के लिए अहंकार नहीं, बल्कि सेवा आवश्यक है। यही कारण है कि मोदी जी आज भी अपनी मां को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। जब भी वे मां से मिलते थे, वह हमेशा यही सलाह देतीं—"बेटा, जनता की सेवा करते रहना।" यही शब्द उनके राजनीतिक जीवन का आधार बने। मां की यह सीख उन्हें हर बड़े मंच पर जमीन से जुड़े रहने में मदद करती है। उनकी विनम्रता ने उन्हें करोड़ों लोगों का प्रिय बना दिया है। यह गुण उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी पहचान बन चुका है।
राजनीति में सेवा का असर
नरेंद्र मोदी ने राजनीति को कभी सत्ता पाने का साधन नहीं माना। मां की सीख के कारण उन्होंने इसे सेवा का मार्ग माना। जब वे मुख्यमंत्री बने, तब भी जनता से जुड़े छोटे-छोटे कार्य करते रहे। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका यह दृष्टिकोण नहीं बदला। उन्होंने हमेशा कहा कि वे प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक हैं। यह सोच सीधे उनकी मां से मिली है। उनकी नीतियों में गरीब और आम आदमी की झलक साफ दिखती है। यही कारण है कि उनकी योजनाएँ हर वर्ग तक पहुँचती हैं। सेवा को राजनीति से ऊपर रखना उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
जन्मदिन पर मां की याद
मोदी जी हर जन्मदिन पर अपनी मां से आशीर्वाद लेने जाते थे। वे उनके पैर छूते और उनका हाथ अपने सिर पर रखते। हीराबेन हमेशा कहतीं कि गरीबों और कमजोरों का सहारा बनना। यही वजह है कि मोदी जी अपना जन्मदिन गरीब बच्चों, बुजुर्गों और आश्रमों में सेवा करके मनाते हैं। उनके लिए यह दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का स्मरण होता है। उनका जन्मदिन आत्ममंथन का भी अवसर होता है। वे सोचते हैं कि आने वाले समय में देश के लिए और क्या कर सकते हैं। यही कारण है कि उनका जन्मदिन हमेशा सेवा और कर्तव्य का प्रतीक बनता है।
दुनिया में मिसाल बनीं हीराबेन
हीराबेन का जीवन दुनिया के लिए एक मिसाल है। उन्होंने यह साबित किया कि मां केवल परिवार को नहीं, बल्कि पूरे समाज को दिशा दे सकती है। मोदी जी की नीतियों और फैसलों में उनकी मां की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। गरीबों के लिए योजनाएं, महिलाओं के सम्मान के लिए अभियान और सेवा के कार्यक्रम उनकी मां के संस्कारों का विस्तार हैं। हीराबेन की सादगी आज भी लोगों को प्रेरित करती है। उनकी याद मोदी जी के हर फैसले में मौजूद रहती है। वह मानते हैं कि मां के आशीर्वाद से ही वे आज यहां तक पहुँचे हैं।
मां की सीख से बना नेता
नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता हैं। लेकिन उनकी असली ताकत सत्ता या पदवी नहीं, बल्कि मां की दी हुई सीख है। सेवा और त्याग का जो बीज हीराबेन ने बचपन में बोया था, वही आज करोड़ों लोगों की प्रेरणा बन चुका है। यही वजह है कि मोदी जी की कहानी सिर्फ़ एक नेता की नहीं, बल्कि एक मां की सीख की जीत भी है। उनका नेतृत्व मां की छाया से मजबूत होता है। मां की शिक्षा ने ही उन्हें जनता से जोड़ा। उनका जीवन यह साबित करता है कि एक मां पूरे देश का भविष्य गढ़ सकती है।