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हैदराबाद में सरोगेसी घोटाले का खुलासा, आठ गिरफ्तार

हैदराबाद में एक फर्टिलिटी क्लिनिक पर छापे के दौरान सरोगेसी और बच्चों के अवैध व्यापार का बड़ा खुलासा हुआ है। एक दंपत्ति के डीएनए परीक्षण ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसके बाद पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया। डॉ. नम्रता नाम की मुख्य आरोपी ने गर्भपात कराने वाली महिलाओं को आर्थिक प्रलोभन देकर गर्भधारण के लिए मजबूर किया। जानें इस मामले की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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सरोगेसी और अवैध कारोबार का पर्दाफाश

हैदराबाद में एक फर्टिलिटी क्लिनिक पर की गई छापेमारी ने सरोगेसी और बच्चों के अवैध व्यापार की एक बड़ी साजिश का खुलासा किया है। यह मामला एक दंपत्ति के डीएनए परीक्षण से शुरू हुआ, जिसने पाया कि क्लिनिक द्वारा उन्हें दिया गया बच्चा उनका नहीं था। इस जानकारी के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए क्लिनिक के संचालक और उनके आठ सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया।


पुलिस के अनुसार, इस गिरोह की मुख्य आरोपी डॉ. नम्रता ने विशेष रूप से उन महिलाओं को निशाना बनाया जो गर्भपात कराने के विचार में थीं। वह एक बड़े नेटवर्क के साथ मिलकर महिलाओं को आर्थिक प्रलोभन देकर गर्भधारण के लिए मजबूर करती थी, ताकि बाद में इन बच्चों को सरोगेसी के माध्यम से अन्य दंपत्तियों को बेचा जा सके। हैदराबाद पुलिस की नार्थ जोन की डीसीपी एस. रश्मि पेरुमल ने बताया कि डॉ. नम्रता और उसके सहयोगी इस अवैध गतिविधि को बेहद चालाकी से अंजाम दे रहे थे।


एक दंपत्ति ने अगस्त 2024 में फर्टिलिटी क्लिनिक से संपर्क किया, जहां उन्हें आईवीएफ और प्रजनन से संबंधित उपचार की सलाह दी गई। प्रारंभ में, डॉ. नम्रता ने उनकी जांच की और सरोगेसी को उनके लिए सबसे उपयुक्त विकल्प बताया। इसके बाद, उन्हें क्लिनिक की विशाखापत्तनम शाखा भेजा गया, जहां उनका परीक्षण किया गया और क्लिनिक ने वादा किया कि वे उनके लिए एक सरोगेट मां उपलब्ध कराएंगे।


नौ महीने की अवधि में, इस दंपत्ति ने क्लिनिक को कई किस्तों में 35 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया। जून में उन्हें सूचित किया गया कि विशाखापत्तनम में सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए एक लड़का पैदा हुआ है। लेकिन बाद में डीएनए जांच में यह पता चला कि यह बच्चा उनका नहीं है।


अधिकारी बताते हैं कि क्लिनिक ने नवजात बच्चे के लिए फर्जी दस्तावेज भी तैयार किए, जिसमें उस बच्चे को जैविक माता-पिता के नाम पर दर्ज किया गया था। जांच में यह भी सामने आया कि जन्म प्रमाण पत्र भी नकली था, ताकि इस घोटाले को छुपाया जा सके।