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बहराइच में भेड़िए का आतंक: 8 साल के बच्चे की मां की गोद से उठाकर की हत्या

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक भेड़िए ने 8 साल के बच्चे पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह घटना गांव में भय का माहौल पैदा कर रही है। ग्रामीणों ने वन विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। पिछले साल भी भेड़ियों के हमलों में कई मौतें हुई थीं। जानें इस दर्दनाक घटना के बारे में विस्तार से।
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उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िए का हमला

UP News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के हरदी थाना क्षेत्र के सिसैया चूड़ामणि गांव में सोमवार सुबह एक भेड़िया घर में घुस आया और सो रहे 8 वर्षीय बच्चे को मां की गोद से उठाकर ले गया। बच्चे को गंभीर चोटें आईं, और 24 घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद मंगलवार सुबह उसकी मृत्यु हो गई।


इस घटना ने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहली बार किसी भेड़िए को घर के अंदर घुसकर इस तरह हमला करते देखा है। घटना के बाद से इलाके में भय का माहौल है, और स्थानीय लोग वन विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


भेड़िया ने मां की गोद से बच्चा उठाया

घनश्याम नाम का 8 साल का बच्चा अपनी मां के साथ आंगन में सो रहा था। सोमवार तड़के लगभग चार बजे, एक भेड़िया खेतों से आया और घर में घुस गया। उसने मां की गोद में सो रहे बच्चे को अपने जबड़े में दबोच लिया और भागने लगा।


बच्चे की चीख सुनकर पिता समभर जाग गए और शोर मचाया। ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर भेड़िए का पीछा किया, जो बच्चे को लेकर लगभग एक किलोमीटर दूर खेतों तक गया और फिर उसे छोड़कर भाग गया।


घातक जख्मों के कारण हुई बच्चे की मौत

जब परिजन बच्चे के पास पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि उसके बाएं हाथ का पंजा भेड़िया खा चुका था और गर्दन पर भी गहरे घाव थे। घायल बच्चे को तुरंत महसी के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे गंभीर स्थिति में जिला अस्पताल रेफर किया गया। सीएमएस एमएम त्रिपाठी ने बताया, "बच्चे को गंभीर हालत में यहां लाया गया था। गर्दन और हाथ पर गहरे जख्म थे। इलाज के दौरान मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई।"


पिछले साल भी भेड़ियों के हमले में हुई थीं मौतें

बहराइच के महसी तहसील के करीब 35 गांव पिछले वर्ष भी भेड़ियों के आतंक का सामना कर चुके हैं। 2024 में 49 दिनों में भेड़िए के हमलों में 8 बच्चों और एक बुजुर्ग महिला की जान चली गई थी। इसके अलावा लगभग 40 लोग घायल हुए थे। इन हमलों के कारण 80 हजार की जनसंख्या भय के साये में जी रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि वन विभाग ने समय पर कदम नहीं उठाए, तो यह जानलेवा खतरा और बढ़ सकता है।