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Air India विमान हादसे की जांच: नागरिक उड्डयन मंत्री ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने एयर इंडिया विमान हादसे के ब्लैक बॉक्स की जांच को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ब्लैक बॉक्स पूरी तरह से भारत में है और इसे विदेश नहीं भेजा गया है। इस दुर्घटना में 270 लोगों की जान गई, जिसमें केवल एक यात्री बचा। जानें इस हादसे और ब्लैक बॉक्स की भूमिका के बारे में और अधिक जानकारी।
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Air India विमान हादसे की जांच: नागरिक उड्डयन मंत्री ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

ब्लैक बॉक्स की जांच भारत में ही

नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने मंगलवार को अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान दुर्घटना के संदर्भ में जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस हादसे से संबंधित ब्लैक बॉक्स पूरी तरह से भारत में ही जांच के लिए रखा गया है। उन्होंने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया, जिनमें कहा गया था कि इसे विदेश भेजा जाएगा।


एक यात्री की चमत्कारिक बचत

एक यात्री चमत्कारिक रूप से बचा


यह घटना 12 जून को हुई, जब एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर लंदन के लिए अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भर रहा था। उड़ान भरते ही विमान एक छात्रावास से टकरा गया, जिससे 270 लोगों की जान गई, जिनमें 241 यात्री और चालक दल के सदस्य शामिल थे। इस हादसे में केवल एक यात्री चमत्कारिक रूप से बच पाया।


जांच प्रक्रिया की जानकारी

मंत्री नायडू ने बताया कि ब्लैक बॉक्स को दुर्घटना के अगले दिन, यानी 13 जून को बरामद किया गया था और इसकी जांच विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह ब्लैक बॉक्स पूरी तरह से भारत में है और इसे कहीं बाहर नहीं भेजा गया है। ये सभी बातें महज अफवाहें हैं। यह एक तकनीकी प्रक्रिया है और जांच एजेंसी को पूरा सहयोग दिया जा रहा है। यह जानकारी उन्होंने फिक्की और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा आयोजित हेलीकॉप्टर और लघु विमान शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान दी।


ब्लैक बॉक्स की भूमिका

ब्लैक बॉक्स क्या होता है?


ब्लैक बॉक्स एक विशेष रिकॉर्डिंग उपकरण है, जो विमान की उड़ान से संबंधित जानकारी और कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड करता है। यह हादसों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके नाम के विपरीत, ब्लैक बॉक्स आमतौर पर नारंगी या पीले रंग का होता है, ताकि इसे दुर्घटना स्थल पर आसानी से देखा जा सके। इसका आविष्कार ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने किया था।