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BCCI का नया ब्रोंको टेस्ट: क्रिकेट में फिटनेस का नया मानक

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों की फिटनेस के लिए नया ब्रोंको टेस्ट पेश किया है। यह टेस्ट रग्बी से प्रेरित है और खिलाड़ियों की सहनशक्ति का मूल्यांकन करता है। जानें कि यह टेस्ट कैसे काम करता है और यह यो-यो टेस्ट से कैसे भिन्न है। इस नए मानक के साथ, भारतीय क्रिकेटरों को मैदान पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार किया जाएगा।
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BCCI का नया ब्रोंको टेस्ट: क्रिकेट में फिटनेस का नया मानक

ब्रोंको टेस्ट: क्रिकेट में फिटनेस का नया आयाम

नई दिल्ली | क्रिकेट अब केवल बल्ले और गेंद का खेल नहीं रह गया है, बल्कि इसमें खिलाड़ियों की फिटनेस भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों की फिटनेस को परखने के लिए हमेशा यो-यो टेस्ट का सहारा लिया है, लेकिन अब एक नया टेस्ट सामने आया है – ब्रोंको टेस्ट।


टीम इंडिया के नए स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रूक्स ने इस टेस्ट को लागू किया है, जो रग्बी और फुटबॉल में खिलाड़ियों की सहनशक्ति की जांच के लिए प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं कि ब्रोंको टेस्ट क्या है और यह यो-यो टेस्ट से किस प्रकार भिन्न है।


ब्रोंको टेस्ट की परिभाषा


ब्रोंको टेस्ट की उत्पत्ति रग्बी से हुई है और इसे खिलाड़ियों की सहनशक्ति और फिटनेस का मूल्यांकन करने के लिए तैयार किया गया है। इस टेस्ट में खिलाड़ियों को लगातार तेज दौड़ लगानी होती है, जो उनकी शारीरिक क्षमता का संपूर्ण परीक्षण करता है।


यह टेस्ट विशेष रूप से तेज गेंदबाजों के लिए बनाया गया है, ताकि वे लंबे स्पेल में अपनी गति और ऊर्जा को बनाए रख सकें। यह टेस्ट क्रिकेटरों को मैदान पर वास्तविक दबाव का सामना करने के लिए तैयार करता है।


ब्रोंको टेस्ट की प्रक्रिया


ब्रोंको टेस्ट में खिलाड़ियों को 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दौड़ लगानी होती है, जो एक सेट बनाता है। खिलाड़ियों को कुल 5 सेट पूरे करने होते हैं, यानी 1200 मीटर की दौड़। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ये सेट 6 मिनट के भीतर पूरे करने होते हैं।


लगातार तेज गति से दौड़ना इस टेस्ट को बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण बनाता है। यह टेस्ट खिलाड़ियों की सहनशक्ति और स्टेमिना का उत्कृष्ट परीक्षण है।


ब्रोंको टेस्ट की आवश्यकता


कोचिंग स्टाफ का मानना है कि क्रिकेटर जिम में अधिक समय बिताते हैं, लेकिन असली परीक्षा मैदान पर होती है। विशेषकर तेज गेंदबाजों को लंबे स्पेल में गति और ऊर्जा बनाए रखने की आवश्यकता होती है। हाल के ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दौरे पर भारतीय गेंदबाजों, विशेषकर जसप्रीत बुमराह, को लंबे स्पेल में कठिनाई का सामना करना पड़ा था।


इंग्लैंड श्रृंखला में केवल मोहम्मद सिराज ही सभी पांच टेस्ट खेल पाए थे। इस कमी को दूर करने के लिए BCCI ने ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत की है, ताकि गेंदबाजों की फिटनेस और सहनशक्ति को बढ़ाया जा सके।


यो-यो टेस्ट और ब्रोंको टेस्ट का संयोजन


BCCI पहले से ही यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर टाइम ट्रायल जैसे फिटनेस टेस्ट लेता रहा है। अब ब्रोंको टेस्ट को भी इन परीक्षणों में शामिल किया गया है। इन दोनों टेस्टों का संयोजन खिलाड़ियों की फिटनेस का और सटीक मूल्यांकन करेगा।


अब खिलाड़ियों को न केवल तेज दौड़ने की क्षमता, बल्कि लंबे समय तक मैदान पर टिके रहने की ताकत भी साबित करनी होगी। यह नया टेस्ट भारतीय क्रिकेटरों को और अधिक मजबूत बनाएगा।