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CJI पर जूता फेंकने वाले वकील का बयान: कोई पछतावा नहीं

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाले वकील राकेश किशोर ने अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं जताया है। उन्होंने कहा कि यह कदम सीजेआई द्वारा भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण की याचिका को खारिज करने के दौरान की गई टिप्पणियों से प्रेरित था। किशोर ने स्पष्ट किया कि वह नशे में नहीं थे और यह उनकी प्रतिक्रिया थी। जानें इस विवादास्पद घटना के पीछे की पूरी कहानी।
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CJI पर जूता फेंकने वाले वकील का बयान: कोई पछतावा नहीं

वकील राकेश किशोर की प्रतिक्रिया


नई दिल्ली में, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास करने वाले वकील राकेश किशोर ने अपने कार्य पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है। उनका यह कदम सीजेआई द्वारा मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण की याचिका को खारिज करने के दौरान की गई टिप्पणियों से प्रेरित था।


राकेश किशोर ने सोमवार को सीजेआई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि 6 सितंबर को सीजेआई की अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर सीजेआई ने मजाक किया था। किशोर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि 'जाओ और मूर्ति से प्रार्थना करो और उसे अपना सिर वापस लगाने के लिए कहो।'


उन्होंने यह भी कहा कि जब हमारे धर्म से संबंधित मुद्दे उठते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ऐसे आदेश पारित करता है। राकेश किशोर ने कहा कि याचिकाकर्ता को राहत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन उसका मजाक भी नहीं उड़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मुझे ठेस पहुंची। मैं नशे में नहीं था। यह मेरी प्रतिक्रिया थी। मैं डर नहीं रहा हूं और मुझे जो हुआ उसका कोई पछतावा नहीं है।'