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Donald Trump और Asim Munir की मुलाकात: पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का नया सबूत

हाल ही में हुई Donald Trump और Asim Munir की मुलाकात ने पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता को उजागर किया है। इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि असली सत्ता सेना के हाथों में है। जानें इस मुलाकात के पीछे के कारण, भारत का प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति के बारे में।
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Donald Trump और Asim Munir की मुलाकात: पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का नया सबूत

Donald Trump और Asim Munir की मुलाकात

Donald Trump-Asim Munir Meet: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर के बीच हाल ही में हुई मुलाकात ने पाकिस्तान के लिए एक नई शर्मिंदगी का कारण बन गई है। भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इसे आतंकवाद के गढ़ बन चुके देश के लिए एक और अपमान बताया। उन्होंने कहा कि इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि असली सत्ता पाकिस्तान में सेना के हाथों में है।


ट्रंप ने इस मुलाकात को शानदार बताया, लेकिन प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति ने पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और दोहरी सत्ता को उजागर किया। यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख को व्यक्तिगत रूप से बुलाया और प्रधानमंत्री को दरकिनार किया।


शहबाज शरीफ को न्योता न मिलना

शहबाज शरीफ को नहीं भेजा गया न्योता


यह मुलाकात केवल सैन्य वार्ता तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को न बुलाना पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर सवाल उठाता है।


रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा, "यह मेरे लिए चौंकाने वाला है। किसी भी देश के लिए यह शर्मनाक है कि उसका सैन्य प्रमुख बुलाया जाए और प्रधानमंत्री अनुपस्थित हो। यह एक अजीब स्थिति है।"


सेना की शक्ति का प्रदर्शन

सेना की ताकत का प्रदर्शन या सत्ता पर पूरी पकड़?


यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है। ट्रंप से मिलने के लिए असीम मुनीर के साथ केवल लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक मौजूद थे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की नीतियों में सेना की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।


ऑपरेशन सिंदूर के बाद की हलचल

ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका-पाकिस्तान में बढ़ी हलचल


यह मुलाकात भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई, जो पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में किया गया था। उस हमले में 26 पर्यटकों की जान गई थी, जिसके बाद पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठे और अमेरिका-पाक संबंधों में तनाव बढ़ा।


नोबल पुरस्कार का संदर्भ

नोबल के बदले मुलाकात?


व्हाइट हाउस के अनुसार, यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि असीम मुनीर ने ट्रंप को भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध रोकने के प्रयासों के लिए नोबल शांति पुरस्कार के लिए समर्थन दिया था। ट्रंप ने कई बार कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


भारत का स्पष्ट जवाब

भारत का जवाब: कोई मध्यस्थता नहीं हुई


हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि 2021 में जो संघर्ष विराम हुआ, वह दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच आपसी समझ से हुआ था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। भारत सरकार ने कहा कि पाकिस्तान ने ही पहल की थी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ट्रंप से फोन पर बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि 7-10 मई के सैन्य गतिरोध के बाद जो शांति बनी, वह दोनों देशों की सेनाओं के सीधे संवाद से हुई थी।


रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा, "मैं हमेशा से मानता आया हूं कि पाकिस्तान में अजीब सा ढांचा है जहां सेना 'इंवेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल' जैसी संस्थाओं में बैठकर आर्थिक फैसले लेती है। सेना ही संसाधनों पर पहला दावा करती है। यह बेहद असंतुलित संरचना है।"


उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ एक ठोस और मजबूत प्रतिरोध खड़ा करना चाहिए ताकि आगे कोई आतंकी खतरा न बने।