H-1B वीज़ा की नई फीस: क्या भारतीय महिलाओं का सपना होगा अधूरा?

अंतरराष्ट्रीय समाचार
अंतरराष्ट्रीय समाचार: अमेरिका का H-1B वीज़ा उन भारतीय युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर रहा है, जो विदेश में अपने करियर को संवारना चाहते हैं। पहले इस वीज़ा की फीस कुछ हजार डॉलर थी, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया है। यह राशि इतनी अधिक है कि कंपनियों के लिए नए उम्मीदवारों को स्पॉन्सर करना कठिन हो जाएगा, और इसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ेगा।
पुरुषों का वर्चस्व
पुरुषों का वर्चस्व
H-1B वीज़ा धारकों में पुरुषों की संख्या अभी भी अधिक है। वित्तीय वर्ष 2024 के आंकड़ों के अनुसार, नौकरी में वृद्धि या परिवर्तन करने वाले 74% पुरुष थे, जबकि केवल 26% महिलाएँ थीं। नए आवेदकों में महिलाओं की हिस्सेदारी थोड़ी बढ़कर 37% हो गई थी। इसका मतलब है कि महिलाएँ धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं, लेकिन नई फीस ने उनके लिए रास्ता कठिन बना दिया है।
शुरुआती वेतन में अंतर
शुरुआती वेतन में अंतर
नई फीस शुरुआती श्रमिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। H-1B के तहत महिलाएँ आमतौर पर पुरुषों की तुलना में कम वेतन पर काम करती हैं। ऐसे में यदि कंपनियों को लाख डॉलर की फीस चुकानी है, तो वे पहले उन पर निवेश करना चाहेंगी जिनकी सैलरी अधिक है। इससे महिलाओं के लिए अवसर और कम हो जाएंगे।
महिलाओं की आय में अंतर
महिलाओं की आय में अंतर
वित्तीय वर्ष 2024 के आंकड़े दर्शाते हैं कि हर स्तर पर महिलाओं की आय पुरुषों से कम रही। निचले स्तर पर महिलाओं की औसत सैलरी $71,000 थी, जबकि पुरुषों की $80,000 थी। मध्य स्तर पर महिलाएँ $91,000 और पुरुष $99,000 कमा रहे थे। उच्च स्तर पर भी महिलाएँ $1,25,000 पर रुक गईं, जबकि पुरुष $1,31,000 तक पहुँच गए। यह अंतर कंपनियों के लिए यह तय करेगा कि किसे स्पॉन्सर किया जाए।
भारतीय महिलाओं पर प्रभाव
भारतीय महिलाओं पर प्रभाव
यह जेंडर गैप भारत की महिलाओं पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। चीन और भारत मिलकर H-1B धारकों का 83% हिस्सा बनाते हैं। चीन में पुरुष और महिलाएँ लगभग बराबरी पर हैं, लेकिन भारत में महिलाएँ पीछे हैं। FY24 के आंकड़ों के अनुसार, नई नौकरी पाने वाली 75% भारतीय महिलाएँ 35 साल से कम उम्र की थीं। इसका मतलब है कि करियर की शुरुआत में ही उनके सामने यह बड़ी रुकावट खड़ी हो गई है।
कंपनियों की नई सोच
कंपनियों की नई सोच
अब कंपनियाँ स्पॉन्सर करने से पहले बहुत सोचेंगी। यदि उन्हें लाख डॉलर की फीस चुकानी है, तो वे उसी उम्मीदवार को चुनेंगी जो तुरंत अधिक उत्पादक हो और अधिक कमा सके। शुरुआती स्तर पर महिलाएँ कम वेतन पाती हैं, इसलिए कंपनियों के लिए उन्हें चुनना महंगा साबित होगा। इससे भारतीय महिलाओं के लिए अमेरिका का सपना और दूर होता जा रहा है।
भविष्य की चुनौतियाँ
भविष्य की चुनौतियाँ
H-1B वीज़ा भारतीय युवाओं, विशेषकर महिलाओं के लिए विदेश में करियर का एक महत्वपूर्ण दरवाजा रहा है। लेकिन ट्रंप के इस नए निर्णय ने उस दरवाजे को आधा बंद कर दिया है। अब भारतीय महिलाओं के लिए अमेरिका में नौकरी पाना पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाएगा। सवाल यह है कि क्या यह नीति भविष्य में बदलेगी, या भारतीय महिलाओं को अपने सपनों के लिए कोई और रास्ता खोजना होगा।