H-1B वीजा में सुधार: अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन का नया कानून प्रस्तावित

H-1B वीजा सुधार की आवश्यकता
H-1B Visa Reform: अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने शुक्रवार को H-1B वीजा कार्यक्रम में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए घोषणा की कि वे अगले सप्ताह अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देने और वीजा प्रणाली को सख्त बनाने के लिए नया कानून पेश करेंगे। इस घोषणा के साथ, अमेरिका में H-1B वीजा प्रक्रिया और प्रवर्तन के लिए एक नया युग शुरू होने की संभावना है।
सीनेटर कॉटन का बयान
सीनेटर कॉटन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप और श्रम सचिव लॉरी चावेज-डीरेमर ने सही कहा है कि H-1B कार्यक्रम में सुधार की आवश्यकता है। अगले सप्ताह, मैं दो विधेयक पेश करूंगा, जो इस कार्यक्रम में आवश्यक बदलाव लाएंगे और अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देंगे।
H-1B वीजा पर सख्त कार्रवाई
H-1B वीजा प्रक्रिया पर सख्त अभियान
यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी श्रम विभाग ने 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' शुरू किया है, जिसे H-1B वीजा के इतिहास में सबसे आक्रामक प्रवर्तन अभियानों में से एक माना जा रहा है। श्रम सचिव लॉरी चावेज-डीरेमर ने कहा कि H-1B वीजा के दुरुपयोग को रोकने के लिए कार्रवाई की जा रही है, जिससे अमेरिकी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
प्रोजेक्ट फायरवॉल के मुख्य पहलू
प्रोजेक्ट फायरवॉल के मुख्य पहलू:
सक्रिय जांच: श्रम सचिव स्वयं उन कंपनियों की जांच करेंगे जिन पर H-1B उल्लंघन का संदेह है।
न्यायपूर्ण वेतन: नियोक्ताओं को H-1B कर्मचारियों को स्थानीय प्रचलित वेतन या अमेरिकी कर्मचारियों के समान वेतन देना होगा।
समान लाभ: H-1B कर्मचारियों को वही सुविधाएं मिलेंगी जो अमेरिकी कर्मचारियों को मिलती हैं।
भर्ती की शर्त: कंपनियों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने अमेरिकी श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया।
सख्त सजा: नियमों का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं पर जुर्माना, बकाया वेतन चुकाने की बाध्यता, या कार्यक्रम से अस्थायी प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
एजेंसियों का सहयोग: श्रम विभाग न्याय विभाग (DOJ), समान अवसर आयोग (EEOC), और USCIS के साथ मिलकर धोखाधड़ी और भेदभाव के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत की प्रतिक्रिया
भारत, जो H-1B वीजा धारकों की संख्या में सबसे आगे है, ने अमेरिका के इस कदम पर सतर्कता दिखाई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आज की इंटरकनेक्टेड दुनिया में ग्लोबल वर्कफोर्स की आवश्यकता है, जिसे केवल डेमोग्राफी से पूरा नहीं किया जा सकता।
जयशंकर ने आगे कहा कि दुनिया को एक आधुनिक और कुशल ग्लोबल वर्कफोर्स मॉडल बनाने की आवश्यकता है, जो वैश्विक कार्यस्थलों में वितरित हो। इमिग्रेशन पाबंदियां, टैरिफ बढ़ोतरी और संरक्षणवादी नीतियां वैश्विक व्यापार और टैलेंट के प्रवाह को जटिल बना सकती हैं।