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IMD की चेतावनी: सर्दियों में ला नीना का प्रभाव

इस वर्ष भारत में मानसून के रिकॉर्ड तोड़ने की संभावना है, जिसके चलते IMD ने सर्दियों में ला नीना के प्रभाव की चेतावनी दी है। भारी बारिश के कारण कई राज्यों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। NOAA के अनुसार, यह प्रभाव सर्दियों तक बना रह सकता है, जिससे भारत में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। जानें ला नीना और अल नीनो के बीच का अंतर और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों के बारे में।
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IMD की चेतावनी: सर्दियों में ला नीना का प्रभाव

सर्दियों के लिए तैयार रहें

IMD की चेतावनी: इस वर्ष भारत में मानसून अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ने की ओर अग्रसर है। कई राज्यों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो आने वाले दिनों में ठंड के लिए तैयार रहना होगा। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में नई मौसम प्रणालियों का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते देशभर में भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार, इसका मुख्य कारण प्रशांत महासागर में सक्रिय ला नीना की स्थिति है, जिसने बारिश के पैटर्न को और अधिक मजबूत किया है.


ला नीना का प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) का अनुमान है कि यह ला नीना प्रभाव इस साल सर्दियों तक बना रह सकता है। इसके परिणामस्वरूप न केवल भारत में कड़ाके की ठंड पड़ेगी, बल्कि इंडोनेशिया से लेकर लैटिन अमेरिका तक कई देशों में मौसम में बदलाव आएगा। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर से नवंबर के बीच इसके विकसित होने की संभावना 53% है, जो 2025 के अंत तक 58% तक पहुंच सकती है.


ला नीना क्या है?

ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है जिसमें भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर का पानी सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है, जिससे ऊपरी वायुमंडलीय पैटर्न और वैश्विक मौसम प्रभावित होता है। इसके विपरीत, अल नीनो के दौरान महासागरीय जल सामान्य से अधिक गर्म होता है। दोनों स्थितियों का उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, यह आगामी ला नीना अपेक्षाकृत कमजोर रहने की संभावना है, फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रभाव सामान्य मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है.


ला नीना और अल नीनो का अंतर

ला नीना आमतौर पर भारत में तेज मानसून और भारी वर्षा लाता है, जबकि अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में सूखे का कारण बनता है। इसका वैश्विक तापमान पर हल्का ठंडा प्रभाव भी पड़ता है। इसके विपरीत, अल नीनो तापमान में वृद्धि करता है। जब ला नीना सक्रिय होता है, तो भारत सहित कई एशियाई देशों में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना होती है.


दक्षिण अमेरिका में बारिश का प्रभाव

ला नीना और अल नीनो चक्र वैश्विक मौसम पैटर्न को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। ला नीना इंडोनेशिया से दक्षिण अमेरिका तक प्रशांत महासागर क्षेत्र को ठंडा करता है, जबकि अल नीनो इसे गर्म करता है। इसके परिणामस्वरूप, ला नीना भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा लाता है, लेकिन अफ्रीका के कुछ हिस्सों में सूखा और अटलांटिक में तूफानों की तीव्रता बढ़ा देता है। दूसरी ओर, अल नीनो भारत में अत्यधिक गर्मी और सूखे का कारण बनता है, जबकि दक्षिण अमेरिका में अतिरिक्त वर्षा लाता है.


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

ला नीना 2020 से 2022 तक लगातार तीन वर्षों तक सक्रिय रहा, जिसे ट्रिपल डिप ला नीना कहा जाता है, इसके बाद 2023 में एल नीनो आया। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण, ला नीना और एल नीनो जैसी घटनाएं अधिक बार और तीव्रता के साथ घटित हो सकती हैं.