MCU 'Abhyudaya' का समापन: सिनेमा में रामकथा की प्रेरणा

MCU 'Abhyudaya' का समापन
MCU 'Abhyudaya' का समापन: सिनेमा की विभिन्न शैलियों में लेखन करने वाले लेखक देश की विविधता को समझकर कहानियों में विभिन्न विषयों को शामिल करते हैं। भारत में कहानियों की कोई कमी नहीं है, और समाज में अलग-अलग समय में फिल्मों की कहानियों का विकास कैसे हुआ, यह पिछले कई दशकों की फिल्मों से स्पष्ट होता है। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के 'अभ्युदय' के समापन दिन पर पटकथा लेखक विपुल के. रावल ने व्यक्त किए। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय, बृजेश कुमार, बालकृष्ण और अदिति राजपूत ने विद्यार्थियों को संबोधित किया।
रावल ने भारतीय फिल्म उद्योग और वैश्विक सिनेमा के विकास पर चर्चा करते हुए बताया कि फिल्म लेखन में महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं, जो रियल लाइफ से जुड़े विषयों पर आधारित हैं। अनंत विजय ने कहा कि फिल्मों की कहानियां हमारी भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं और रामकथा की प्रेरणा अधिकांश सिनेमा में देखने को मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि फिल्म समीक्षाएं अब केवल व्याख्या बनकर रह गई हैं, जिसमें विश्लेषण की कमी है।
एक अन्य सत्र में नेटवर्क 18 के वरिष्ठ संपादक डॉ. बृजेश कुमार ने बताया कि तीन दशक पहले प्रिंट और रेडियो का दौर था, जबकि अब डिजिटल मीडिया तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे अपनी स्किल्स को बेहतर करने पर ध्यान दें।
वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण ने मीडिया की विश्वसनीयता और ब्रॉडकास्टिंग पर चर्चा की, जबकि अदिति राजपूत ने मीडिया की शक्ति और उसके उत्तरदायित्वों पर जोर दिया। चिराग जैन ने सेंसर टेक्नोलॉजी और ड्रोन तकनीक के विकास पर अपने विचार साझा किए।
समापन सत्र में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक पांडे ने पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डाला। कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे देश के विकास में योगदान दें। अंत में, फिल्म प्रोडक्शन के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थी उत्सव ठाकुर को पुरस्कार प्रदान किया गया।