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PM मोदी ने नामीबिया में ऐतिहासिक भाषण देकर कूटनीतिक शक्ति को बढ़ाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया की संसद में 17वां भाषण देकर एक नई कूटनीतिक उपलब्धि हासिल की है। इस भाषण के साथ ही उन्होंने कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा दिए गए विदेशी संसदों के भाषणों की कुल संख्या के बराबर पहुंच गए। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने घाना, त्रिनिडाड एंड टोबैगो और नामीबिया की संसदों को संबोधित किया, जिससे भारत की वैश्विक भूमिका और कूटनीतिक शक्ति को और मजबूती मिली। जानें इस यात्रा के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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PM मोदी ने नामीबिया में ऐतिहासिक भाषण देकर कूटनीतिक शक्ति को बढ़ाया

प्रधानमंत्री मोदी की नई उपलब्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। उन्होंने नामीबिया की संसद में अपना 17वां भाषण दिया, जिससे उन्होंने कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा दिए गए विदेशी संसदों के भाषणों की कुल संख्या के बराबर पहुंच गए। यह ऐतिहासिक क्षण उनके पांच देशों की यात्रा के अंतिम चरण में हुआ, जहां नामीबियाई सांसदों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया।


कूटनीतिक शक्ति को मजबूत करना

इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने घाना, त्रिनिडाड एंड टोबैगो और नामीबिया की संसदों को संबोधित किया। इस प्रकार, उन्होंने एक ही यात्रा में तीन विदेशी संसदों में भाषण देकर भारत की कूटनीतिक शक्ति और वैश्विक नेतृत्व को और मजबूत किया। भाजपा ने इसे सोशल मीडिया पर 'एक दशक में वह काम जो दूसरों ने पीढ़ियों में किया' के रूप में प्रस्तुत किया।


कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की तुलना

कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की बात करें तो जवाहरलाल नेहरू (3), इंदिरा गांधी (4), राजीव गांधी (2), पीवी नरसिंह राव (1) और मनमोहन सिंह (7) ने मिलकर कुल 17 बार विदेशी संसदों में भाषण दिए। लेकिन पीएम मोदी ने अकेले ही इस आंकड़े को अपने दस साल के कार्यकाल में छू लिया। गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों में अटल बिहारी वाजपेयी ने 2 और मोरारजी देसाई ने 1 बार विदेशी संसद में भाषण दिया।


2014 से शुरू हुई परंपरा

प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में इस परंपरा की शुरुआत की थी। उस वर्ष उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, फिजी, भूटान और नेपाल की संसदों को संबोधित किया। 2015 में यह सिलसिला मॉरीशस, मंगोलिया, अफगानिस्तान, यूके और श्रीलंका तक पहुंचा। 2016 और 2023 में उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया। इसके बाद 2018 में युगांडा, 2019 में मालदीव और 2024 में गुयाना में भी उन्होंने संसद में भाषण दिया।


भारत-अफ्रीका साझेदारी पर जोर

नामीबिया की संसद में अपने संबोधन में, पीएम मोदी ने भारत-अफ्रीका साझेदारी को 12 अरब डॉलर से अधिक की विकास भागीदारी बताते हुए इसे अफ्रीका के 'एजेंडा 2063' के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा, 'हम प्रतिस्पर्धा नहीं, सहयोग करना चाहते हैं। हमारा लक्ष्य है साथ मिलकर निर्माण करना।' उन्होंने अफ्रीका के साथ 2018 में तय किए गए साझेदारी के सिद्धांतों को दोहराते हुए रक्षा, सुरक्षा, नवाचार और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात कही।


तीन महाद्वीपों की यात्रा का समापन

पांच देशों और तीन महाद्वीपों की यात्रा के बाद, पीएम मोदी बुधवार को नामीबिया से लौटकर भारत पहुंचे। इस दौरे को भारत की विदेश नीति और वैश्विक भूमिका के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जा रहा है। इस दौरान भारत की आवाज न केवल अफ्रीका, बल्कि दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्रों तक पहुंची।