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RSS के 100 वर्ष: मोहन भागवत का विजयादशमी पर महत्वपूर्ण संबोधन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव पर अपने संबोधन में हिंसा को स्थायी समाधान न मानते हुए लोकतांत्रिक तरीकों से बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पड़ोसी देशों में हो रहे आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि असंतोष को हिंसा से नहीं, बल्कि संवाद से हल किया जाना चाहिए। महात्मा गांधी के योगदान को याद करते हुए भागवत ने समाज में एकजुटता और जिम्मेदारी की अपील की। जानें उनके विचार और संघ की भूमिका के बारे में।
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RSS के 100 वर्ष: मोहन भागवत का विजयादशमी पर महत्वपूर्ण संबोधन

RSS के 100 वर्ष: मोहन भागवत का संदेश

RSS 100 Years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के अवसर पर नागपुर में अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि हिंसा स्थायी समाधान नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक तरीकों से ही सकारात्मक परिवर्तन संभव है।


भागवत ने अपने भाषण में पड़ोसी देशों में चल रहे आंदोलनों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, 'श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हालात चिंताजनक हैं। कभी-कभी सरकारें जनता की आवाज़ को अनसुना कर देती हैं, जिससे असंतोष पैदा होता है। लेकिन इसे हिंसा के माध्यम से व्यक्त करना किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है। डॉ. अंबेडकर ने हिंसा को अराजकता कहा है। परिवर्तन केवल लोकतांत्रिक रास्तों से ही संभव है।'


महात्मा गांधी का योगदान


भागवत ने महात्मा गांधी के योगदान को याद करते हुए कहा कि अराजकता के समय बाहरी ताकतें देश को अस्थिर करने का प्रयास करती हैं। उन्होंने पड़ोसी देशों को 'अपने' बताते हुए कहा कि भारत का उनके साथ एक आत्मीय संबंध है और वहां स्थिरता भारत के लिए आवश्यक है।




विजयादशमी और गांधी जयंती के अवसर पर भागवत ने कहा, 'महात्मा गांधी ने संप्रदायवाद के खिलाफ समाज की रक्षा की। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय है। स्वतंत्रता के बाद का जीवन कैसे जीना है, यह भी हमने उनसे सीखा है। उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।'


समाज में एकजुटता की आवश्यकता


आरएसएस प्रमुख ने समाज को एकजुटता और जिम्मेदारी का संदेश देते हुए कहा कि आजादी के बाद भी हमें एक-दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। उन्होंने कहा कि बदलाव के लिए हिंसा नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास और लोकतांत्रिक मूल्यों की आवश्यकता है।


इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है। नागपुर में आयोजित विजयादशमी उत्सव में भागवत का भाषण विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया। उन्होंने संघ की भूमिका और समाज को दिशा देने में संघ की जिम्मेदारी पर भी प्रकाश डाला।