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UPI उपयोगकर्ताओं के लिए नया नियम: एक दिन में 50 बार बैलेंस चेक करने की सीमा

UPI उपयोगकर्ताओं के लिए नए नियम 1 अगस्त, 2025 से लागू होंगे, जिसमें एक दिन में बैलेंस चेक करने की अधिकतम सीमा 50 बार निर्धारित की गई है। यह कदम यूपीआई एप के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा, ऑटोपे मेंडेट का भुगतान अब केवल नॉन-पीक ऑवर्स में किया जाएगा। जानें और क्या बदलाव होंगे और इनका ग्राहकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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UPI उपयोगकर्ताओं के लिए नया नियम: एक दिन में 50 बार बैलेंस चेक करने की सीमा

नए नियमों की शुरुआत 1 अगस्त, 2025 से


UPI New Rule: राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने 21 मई, 2025 को एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें सभी बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं (PSP) को 10 प्रमुख यूपीआई एपीआई पर निगरानी और नियंत्रण लागू करने का निर्देश दिया गया है। इनमें बैलेंस चेक, ऑटोपे मेंडेट, और ट्रांजेक्शन स्टेटस चेक जैसे अनुरोध शामिल हैं। ये नए नियम 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होंगे। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, यूपीआई उपयोगकर्ता अब एक दिन में अधिकतम 50 बार बैलेंस चेक कर सकेंगे। इसका मतलब है कि यदि कोई ग्राहक PhonePe और Paytm दोनों का उपयोग करता है, तो वह हर ऐप पर केवल 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेगा। बैलेंस चेक पर यह सीमा यूपीआई एप के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है।


बैलेंस चेक करने की सीमा का उद्देश्य

बार-बार बैलेंस चेक करने से यूपीआई सर्वर पर अतिरिक्त लोड बढ़ता है, जिससे सिस्टम की गति धीमी हो जाती है। सर्कुलर में यह भी उल्लेख किया गया है कि जो बैंक या PSP इन नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ API ब्लॉकिंग, जुर्माना, और नए ग्राहकों का ऑनबोर्डिंग रोकने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। NPCI ने यह स्पष्ट किया है कि नए नियम लागू होने के बाद भी ग्राहकों को उनके खाते की रियल टाइम और अपडेटेड बैलेंस जानकारी मिलती रहेगी।


ऑटोपे मेंडेट के लिए नई समय सीमा

यूपीआई के माध्यम से किए गए ऑटोपे मेंडेट जैसे नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन और SIP के भुगतान अब केवल नॉन-पीक ऑवर्स में ही किए जाएंगे। NPCI ने पीक टाइम को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक निर्धारित किया है।


बैंकों को ट्रांजेक्शन के साथ बैलेंस अलर्ट भेजने का निर्देश

NPCI ने निर्देश दिए हैं कि ट्रांजेक्शन के बाद बैंकों को ग्राहकों को उपलब्ध बैलेंस की जानकारी भेजनी होगी। इसके अलावा, पीक आवर्स में बार-बार बैलेंस चेक करने से रोकने के लिए यूपीआई एप्स को विशेष तकनीकी इंतजाम करने होंगे। इससे यूपीआई की कोर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थिर और सभी के लिए सुलभ बनी रहेगी।