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अक्टूबर में भारत के प्राइमरी मार्केट में 46,000 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड फंड रेजिंग

अक्टूबर 2023 में भारत के प्राइमरी मार्केट ने 46,000 करोड़ रुपये की फंड रेजिंग का नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। इस महीने 14 कंपनियों ने आईपीओ के माध्यम से बाजार में प्रवेश किया, जिसमें टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेंसकार्ट सॉल्यूशन का इश्यू भी इस महीने में शामिल है। पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए, यह प्रदर्शन भारत के वित्तीय बाजार की मजबूती को दर्शाता है। जानें इस सफलता के पीछे की कहानी और भविष्य की संभावनाएं।
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अक्टूबर में भारत के प्राइमरी मार्केट में 46,000 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड फंड रेजिंग

भारत के प्राइमरी मार्केट में शानदार अक्टूबर

मुंबई: भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए अक्टूबर का महीना बेहद सफल रहा, जिसमें कई प्रमुख आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) देखने को मिले। इस महीने 14 कंपनियों ने 46,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने का लक्ष्य रखा और बाजार में प्रवेश किया।


घरेलू पूंजी बाजारों में इस महीने मंथली फंडरेजिंग का एक नया रिकॉर्ड बना है, जो टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की लिस्टिंग के कारण संभव हुआ। इन दोनों कंपनियों ने मिलकर कुल फंड रेजिंग में आधे से अधिक का योगदान दिया। टाटा कैपिटल ने 15,512 करोड़ रुपये और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 11,607 करोड़ रुपये जुटाए।


इस गति को आगे बढ़ाते हुए, लेंसकार्ट सॉल्यूशन ने 31 अक्टूबर को 7,278 करोड़ रुपये का इश्यू जारी किया, जो 4 नवंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। इस महीने वीवर्क इंडिया, केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस, ओर्कला इंडिया और रूबिकॉन रिसर्च के ऑफर भी शामिल थे।


पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 में छह आईपीओ ने 38,690 करोड़ रुपये जुटाकर एक मंथली हाई रिकॉर्ड बनाया था, जिसे इस बार के प्रदर्शन ने पीछे छोड़ दिया। नवीनतम आंकड़ों ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जिसमें नवंबर 2021 में नौ आईपीओ से 35,665 करोड़ रुपये और नवंबर 2024 में आठ आईपीओ से 31,145 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।


वर्ष 2025 में अब तक 89 आईपीओ ने 1.38 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई है, जो इसे एक मजबूत वर्ष बनाता है। नवंबर और दिसंबर में कई और आईपीओ प्राइमरी मार्केट में आने की उम्मीद है, जिससे 2024 का रिकॉर्ड टूटने की संभावना है। पिछले वर्ष में फंड रेजिंग 1.60 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई थी।


विश्लेषकों का मानना है कि यह उपलब्धि भारत के प्राइमरी मार्केट की मजबूती और लिक्विडिटी की गहराई को दर्शाती है, जो वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भी सक्रिय बना हुआ है।