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अनिल अंबानी के खिलाफ ED की नई कार्रवाई, 1,120 करोड़ की संपत्तियां जब्त

अनिल अंबानी और उनके रिलायंस समूह के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में 1,120 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया है। यह कार्रवाई यस बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी है। ईडी ने अब तक कुल 10,117 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच की हैं। जांच में सामने आया है कि अनिल अंबानी की कंपनियों ने बड़े पैमाने पर पब्लिक मनी का गबन किया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
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अनिल अंबानी के खिलाफ ED की नई कार्रवाई, 1,120 करोड़ की संपत्तियां जब्त

अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ीं

मुंबई: कर्ज में फंसे उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके रिलायंस समूह के लिए समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई करते हुए रिलायंस अनिल अंबानी समूह की 1,120 करोड़ रुपये की 18 से अधिक संपत्तियों, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और शेयरों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।


जब्त की गई संपत्तियां

यह कार्रवाई यस बैंक धोखाधड़ी, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में की गई है। ईडी ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की 7, रिलायंस पावर लिमिटेड की 2 और रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की 9 संपत्तियों को जब्त किया है। इसके अलावा, विभिन्न कंपनियों के नाम पर जमा फिक्स्ड डिपॉजिट और अनकोटेड निवेश भी एजेंसी ने अपने कब्जे में ले लिया है।


कुल संपत्तियों का आंकड़ा

अब तक 10,117 करोड़ की संपत्ति अटैच
ईडी ने इससे पहले भी इस मामले में 8,997 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त की थीं। ताज़ा कार्रवाई के बाद अब तक कुल अटैचमेंट का आंकड़ा 10,117 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जांच में पता चला है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस पावर जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर 'पब्लिक मनी' का गबन किया है।


यस बैंक और म्यूचुअल फंड का जाल

यस बैंक और म्यूचुअल फंड का खेल
जांच में पैसों के हेरफेर का एक जटिल जाल सामने आया है। सेबी (SEBI) के 'हितों के टकराव' नियमों के कारण रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड सीधे अनिल अंबानी की कंपनियों में निवेश नहीं कर सकता था। नियमों से बचने के लिए पब्लिक मनी को यस बैंक के जरिए रूट किया गया। यस बैंक को म्यूचुअल फंड से भारी पैसा मिला, जिसे बैंक ने 2017-19 के दौरान RHFL और RCFL में निवेश कर दिया। यह निवेश (करीब 5,000 करोड़ रुपये) बाद में डूब गया और NPA बन गया।


फंड डायवर्जन के तरीके

लोन की 'एवरग्रीनिंग' और फंड डायवर्जन
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में फंड डायवर्जन के बेहद चौंकाने वाले तरीके सामने आए हैं। जांच में पता चला है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए एक बैंक से लोन लेकर उसका इस्तेमाल दूसरे बैंकों का पुराना कर्ज चुकाने के लिए किया गया। इसके अलावा, आरकॉम (RCOM) और ग्रुप कंपनियों द्वारा 13,600 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि डायवर्ट की गई, जिसमें से 12,600 करोड़ रुपये संबंधित पक्षों को भेजे गए।


बैंकों का बकाया

गौरतलब है कि अनिल अंबानी की आरकॉम और अन्य कंपनियों पर बैंकों का करीब 40,185 करोड़ रुपये बकाया है और 9 बैंकों ने इनके खातों को 'फ्रॉड' घोषित कर दिया है। सीबीआई की एफआईआर के आधार पर ईडी इस पूरे मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही है।