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अनिल विज का गुस्सा: लोगों की सुरक्षा पहले, काम बाद में!

हरियाणा के ऊर्जा और परिवहन मंत्री अनिल विज ने अंबाला छावनी में अधूरे निर्माण कार्यों पर नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि लोगों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। विज का यह सख्त रुख और निरीक्षण मानसून से पहले जलभराव की समस्याओं को रोकने के लिए था। उनके इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि वे शहर के विकास के प्रति गंभीर हैं। अब देखना यह है कि अधिकारी उनकी चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
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अनिल विज का गुस्सा: लोगों की सुरक्षा पहले, काम बाद में!

अनिल विज का सख्त रुख

अंबाला समाचार: अनिल विज का गुस्सा: "काम से पहले लोगों की जान बचाओ!" : हरियाणा के ऊर्जा और परिवहन मंत्री अनिल विज एक बार फिर अपने गुस्से के लिए चर्चा में हैं। मानसून से पहले अंबाला छावनी में नालों और पुलों की स्थिति का निरीक्षण करते हुए विज ने अधूरे कार्यों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। नगर परिषद के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए उन्होंने कहा, "काम की कोई अहमियत नहीं, मुझे पहले लोगों की जान चाहिए!" उनका यह तीखा बयान और शहर के विकास के प्रति उनका सख्त दृष्टिकोण लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।


अंबाला छावनी के रेस्ट हाउस में उपायुक्त और नगर परिषद चेयरपर्सन सहित कई अधिकारियों के साथ बैठक के बाद विज ने निरीक्षण कार्य शुरू किया।


निरीक्षण के दौरान अधूरे निर्माण कार्यों को देखकर उनका गुस्सा बढ़ गया। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी, "अनिल विज मेरा नाम है! जल्दी काम पूरा करो, नहीं तो मैं छोड़ूंगा नहीं!" शहर में नालों को अंडरग्राउंड करने और सड़कों पर पुल बनाने का कार्य चल रहा है, लेकिन कई परियोजनाओं की धीमी प्रगति ने विज को नाराज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोगों की सुरक्षा और सुविधा उनकी प्राथमिकता है।


विज का यह दौरा मानसून से पहले जलभराव और अन्य समस्याओं को रोकने के लिए था। अंबाला में अधिकांश नाले अंडरग्राउंड किए जा चुके हैं, और सड़कों को जोड़ने के लिए पुलों का निर्माण भी हो रहा है।


हालांकि, अधूरे कार्यों ने उनकी चिंता बढ़ा दी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे समय पर काम पूरा करें, ताकि बारिश के दौरान लोगों को कोई परेशानी न हो। विज का यह सख्त रुख न केवल अधिकारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे जनता की समस्याओं के प्रति कितने गंभीर हैं।


अनिल विज का यह निरीक्षण और उनका कड़ा रुख अंबाला के निवासियों के लिए एक उम्मीद की किरण है। उनके इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि वे शहर को सुंदर और सुरक्षित बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब देखना यह है कि अधिकारी उनकी इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं और कितनी जल्दी ये अधूरे प्रोजेक्ट्स पूरे होते हैं।