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अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की पहल

अफगानिस्तान के उद्योग मंत्री ने भारत से निवेश की अपील की है, जिसमें सोने के खनन जैसे क्षेत्रों में टैक्स छूट का प्रस्ताव शामिल है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की गई है। अफगानिस्तान में निवेश की अपार संभावनाएं हैं, और यदि भारत तालिबान के प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो यह दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होगा। जानें इस संबंध में और क्या कुछ हो रहा है।
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अफगानिस्तान और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की पहल

अफगानिस्तान का भारत के साथ संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास

अफगानिस्तान लगातार भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। हाल ही में भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाहाद नूरुद्दीन अजी ने भारत से विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की अपील की। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार सोने के खनन जैसे नए क्षेत्रों में निवेश करने वाली कंपनियों को पांच साल की टैक्स छूट देने के लिए तैयार है।


एक इंटरेक्टिव सत्र में बोलते हुए अजी ने कहा कि पाकिस्तान के साथ तनाव व्यापार में बाधाएं उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भारतीय कंपनियां निवेश के लिए मशीनरी आयात करती हैं, तो उन पर केवल 1% शुल्क लगेगा। अफगान मंत्री ने निवेश के लिए आमंत्रण देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में निवेश की अपार संभावनाएं हैं और यहां प्रतिस्पर्धा भी कम है।


अजी ने यह भी कहा कि निवेश करने वाली कंपनियों को टैरिफ में सहायता दी जाएगी और भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। दोनों देश मौजूदा 1 बिलियन डॉलर के व्यापार को और बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान उठाए गए मुद्दों को हल करने की बात की और चाबहार बंदरगाह के महत्व पर भी जोर दिया।


उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच बैंकिंग क्षेत्र में भी चर्चा हुई है, जिसमें जीरो टैरिफ पर विचार किया गया। व्यापार के लिए सबसे सरल और प्रभावी मार्ग का चयन करने की आवश्यकता है।


हालांकि, बैंकिंग लेनदेन जैसी कुछ छोटी बाधाएं हैं जो समग्र प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए इन समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है। तालिबान का यह प्रस्ताव भारत-अफगानिस्तान संबंधों में एक नया मोड़ ला सकता है। यदि भारत तालिबान सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो यह भारत की सीधी पहुंच को अफगानिस्तान तक बढ़ा देगा। यह कदम दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होगा और पाकिस्तान के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित होगा।