अमेरिका की टैरिफ नीतियों पर संकट, सुप्रीम कोर्ट में मामला
अमेरिका की टैरिफ नीतियों पर संकट गहरा गया है, जब सुप्रीम कोर्ट में अरबों डॉलर की वापसी का मामला चल रहा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे अमेरिकी वित्त पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके संभावित परिणामों के बारे में।
Sep 8, 2025, 15:54 IST
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अमेरिकी सरकार पर टैरिफ रिफंड का खतरा
अमेरिका, जो दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को अपने टैरिफ के माध्यम से प्रभावित करने का सपना देख रहा था, अब खुद अपनी नीतियों के कारण संकट में है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में एक मामला चल रहा है, जिसमें अरबों डॉलर की वापसी का खतरा मंडरा रहा है। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में आक्रामक नीतियों को अपनाया और 180 से अधिक देशों पर 10% से 50% तक के टैरिफ लगाए। इनमें भारत, चीन, कनाडा और ब्राजील जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। भारत पर अगस्त 2025 में दो बार टैरिफ बढ़ाए गए, पहले 7 अगस्त को 25% और फिर 27 अगस्त को 50% कर दिए गए। ट्रंप का दावा था कि इससे अमेरिका को लाभ होगा और विदेशी कंपनियां झुक जाएंगी।
टैरिफ से हुई कमाई पर संकट
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में टैरिफ से 31 अरब डॉलर की कमाई हुई थी, लेकिन अब यह राशि खतरे में है। मामला कोर्ट में पहुंच चुका है, जहां यह तय किया गया है कि ट्रंप ने अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का गलत उपयोग किया है। कोर्ट ने कहा कि व्यापारिक मुद्दों पर इतना बड़ा टैरिफ लगाना राष्ट्रपति के अधिकार का अतिक्रमण है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसन ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ने फेडरल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, तो हमें लगभग आधे टैरिफ वापस करने पड़ सकते हैं।
संभावित रिफंड का प्रभाव
बेसन ने चेतावनी दी है कि यदि मुकदमेबाज़ी 2026 के मध्य तक चलती है, तो कुल रिफंड 750 अरब से 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच हो सकता है, जिससे अमेरिकी वित्त में "काफी व्यवधान" उत्पन्न हो सकता है। अगस्त में नए टैरिफ लागू होने के बाद से, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग ने 70 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि एकत्र की है, जो इस वर्ष के कुल 180 अरब अमेरिकी डॉलर के टैरिफ राजस्व का आधा से भी कम है।