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अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ से कालीन उद्योग पर संकट

अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने से कालीन उद्योग में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। भदोही के कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के निदेशक असलम महबूब ने बताया कि इस निर्णय का उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिससे उत्पादन ठप हो गया है। व्यापारियों ने सरकार से मदद की मांग की है, क्योंकि अमेरिका से 60% व्यापार प्रभावित हुआ है। जानें इस संकट के बारे में और क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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अमेरिका द्वारा 50% टैरिफ से कालीन उद्योग पर संकट

अमेरिका का नया टैरिफ और उसके प्रभाव

अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू किया है, जिसका अर्थ है कि भारत से अमेरिका में भेजे जाने वाले सामान पर 50 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा। इससे भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा। इस निर्णय का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में महसूस किया जा रहा है, जिसमें कालीन उद्योग भी शामिल है।


कालीन उद्योग पर गंभीर असर

भदोही के कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (CEPC) के निदेशक असलम महबूब ने बताया कि इस टैरिफ का उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि हमारे पास 26 अगस्त तक का समय था, लेकिन अब कोई नया उत्पादन नहीं हो रहा है। 17,000 करोड़ रुपये के इस उद्योग में 60% व्यापार अमेरिका को जाता था, लेकिन अब अधिकांश माल रुका हुआ है। कारखानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में 60-70% की कमी कर दी है। ऐसे टैरिफ के तहत काम करना असंभव है।


सरकार से मदद की अपील

उन्होंने आगे कहा कि उत्पादन, कच्चे माल की खरीद और रंगाई का काम बंद हो गया है। अमेरिका से हमें 60% व्यापार मिलता था, लेकिन अन्य देशों से ऐसा कोई विकल्प नहीं है। हमें धीरे-धीरे अन्य बाजारों की तलाश करनी होगी, लेकिन फिलहाल यह एक बड़ा झटका है। हम मांग करते हैं कि सरकार टैरिफ का 50% वहन करे, जबकि खरीदार और निर्यातक बाकी 50% को संतुलित करेंगे। भारतीय निर्यात का कुल मूल्य 17,740 करोड़ रुपये है, जिसमें से 60% अमेरिका को जाता है। विकल्प बनाने में समय लगेगा, इसलिए सरकार को इस उद्योग के लिए बेलआउट पैकेज प्रदान करना चाहिए।


अखिल भारतीय कालीन निर्माण सचिव की प्रतिक्रिया

अमेरिका के 50% टैरिफ पर अखिल भारतीय कालीन निर्माण सचिव पीयूष बरनवाल ने कहा कि कपड़ा मंत्रालय के अंतर्गत कई उत्पाद बनते हैं, जिनमें परिधान और चमड़े के जूते शामिल हैं। हालांकि, कालीन का 98-99% निर्यात किया जाता है और सबसे अधिक 60% अमेरिका को जाता है। अमेरिका से टैरिफ लगने के कारण यह उद्योग ठप हो गया है और हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।


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