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अमेरिका ने चीन से दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति पर नई नीति की घोषणा की

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक नई नीति की घोषणा की है, जिसमें टैरिफ को 55 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय शामिल है। यह कदम चीन से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं की वैश्विक जांच के बीच उठाया गया है। मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि कई कंपनियाँ जबरन श्रम प्रथाओं में शामिल हो सकती हैं। जानें इस नीति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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अमेरिका ने चीन से दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति पर नई नीति की घोषणा की

अमेरिका की नई नीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में घोषणा की है कि अमेरिका एक नए समझौते के तहत चीन से मैग्नेट और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, उन्होंने चीनी आयात पर टैरिफ को 55 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम चीन से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं की बढ़ती वैश्विक जांच के बीच उठाया गया है, खासकर उन खनिजों से संबंधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि कई वैश्विक ब्रांड झिंजियांग क्षेत्र से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं में जबरन श्रम प्रथाओं में शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खनिजों या उनके उत्पादों का स्रोत बनाने वाली कंपनियों को अनजाने में मानवाधिकारों के उल्लंघन का समर्थन करने का जोखिम हो सकता है। 


दुर्लभ खनिजों का महत्व

दुर्लभ मृदा खनिज उच्च तकनीक उद्योगों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों और सैन्य हार्डवेयर के लिए आवश्यक हैं। वर्तमान में, चीन इन सामग्रियों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, जिससे अमेरिका के लिए इनकी पहुँच एक महत्वपूर्ण रणनीतिक चिंता बन गई है। ट्रम्प की घोषणा बीजिंग पर बढ़े हुए टैरिफ के माध्यम से आर्थिक दबाव डालने और अमेरिकी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों को सुरक्षित करने के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है। हालांकि, चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ी मानवाधिकार संबंधी चिंताओं के कारण नैतिक सोर्सिंग और सख्त निगरानी की माँगें बढ़ने की संभावना है।