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अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती: वैश्विक बाजारों पर संभावित प्रभाव

अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की है, जिससे दरें 3.75% से 4% के बीच आ गई हैं। यह निर्णय अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के उद्देश्य से लिया गया है। इस कटौती का प्रभाव न केवल अमेरिका, बल्कि वैश्विक बाजारों पर भी पड़ सकता है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
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अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती: वैश्विक बाजारों पर संभावित प्रभाव

फेडरल रिजर्व का निर्णय

वॉशिंगटन: अमेरिका से एक महत्वपूर्ण आर्थिक समाचार सामने आया है। फेडरल रिजर्व ने अपनी पॉलिसी दर में कटौती करने का निर्णय लिया है। यूएस फेड ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट या 0.25% की कमी की घोषणा की है। इस बदलाव के बाद अमेरिका में ब्याज दरें 3.75% से 4% के बीच आ गई हैं। इससे पहले सितंबर में भी इसी दर से कटौती की गई थी। फेडरल रिजर्व के अनुसार, यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने के लिए उठाया गया है।


बाजारों पर प्रभाव

US Fed की ब्याज दरों में कटौती का वैश्विक बाजारों पर असर यह इस वर्ष 2025 में लगातार दूसरी बार है जब फेडरल रिजर्व ने पॉलिसी रेट में कमी की है। फेड ने ओवरनाइट बेंचमार्क दर को घटाकर 3.75%-4.00% की सीमा में निर्धारित किया है। सितंबर में यह दर 4-4.25% थी। इस निर्णय पर फेड की बैठक में 10-2 के अनुपात से मतदान हुआ। एक सदस्य ने दर कटौती का विरोध किया, जबकि एक ने 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का सुझाव दिया था।


फेड चेयरमैन का बयान

फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने सितंबर में संकेत दिए थे कि आगे भी रेट कट की संभावना है, लेकिन इस बार की बैठक के बाद उन्होंने दिसंबर में किसी नई कटौती के बारे में कोई इशारा नहीं किया। उन्होंने बताया कि दिसंबर की बैठक को लेकर समिति के भीतर मतभेद मौजूद हैं। अगली फेड बैठक दिसंबर महीने में होने वाली है।


आर्थिक गतिविधियों का विश्लेषण

फेड की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हालिया आंकड़े दर्शाते हैं कि अमेरिकी आर्थिक गतिविधियां धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं। 2025 में अब तक रोजगार वृद्धि की दर कम रही है और बेरोजगारी में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, हालांकि यह स्थिति अगस्त की तुलना में बेहतर है। महंगाई अब भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती का निर्णय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और संभावित जोखिमों को संतुलित करने के लिए लिया गया है।


वैश्विक बाजारों पर प्रभाव

अमेरिका में होने वाले मौद्रिक बदलावों का असर भारत सहित अन्य देशों पर भी देखने को मिलता है। फेड के फैसले के बाद अक्सर भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। बुधवार को रेट कट के ऐलान के बाद एशियाई बाजारों में मिश्रित रुख दर्ज किया गया।