अहमदाबाद विमान दुर्घटना: 2011 की भयावह रात की यादें ताजा

अहमदाबाद में विमान हादसा
अहमदाबाद विमान दुर्घटना: गुरुवार को अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना ने फरीदाबाद के पर्वतिया कॉलोनी के निवासियों को 25 मई 2011 की उस भयानक रात की याद दिला दी। उस रात, लगभग साढ़े 10 बजे, एक एयर एम्बुलेंस तेज आंधी के बीच अनियंत्रित होकर कॉलोनी के एक घर की छत पर गिर गई। इस हादसे में विमान में सवार सात लोगों और छत पर सो रही तीन महिलाओं की जान चली गई।
25 मई 2011 की रात साढ़े 9 बजे, पटना से एक एयर एम्बुलेंस ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। इसमें पीलिया से पीड़ित मरीज राहुल राज, उनके भाई रतनेश, दो नर्स, दो डॉक्टर (राजेश जैन और अर्शद), और दो पायलट शामिल थे। कुल मिलाकर, इस एम्बुलेंस में सात लोग सवार थे। विमान को रात साढ़े 10 बजे दिल्ली में उतरना था, लेकिन अचानक आई तेज आंधी ने इसका संतुलन बिगाड़ दिया। विमान ने पर्वतिया कॉलोनी के ऊपर तीन-चार चक्कर लगाए। कॉलोनी के लोग, जो छतों पर खड़े थे, नीचे उड़ते विमान को देख रहे थे। लेकिन अचानक, यह विमान एक घर की छत पर गिर गया और उसमें आग लग गई। प्रशासन की टीमें सायरन बजाते हुए मौके पर पहुंचीं, लेकिन तब तक 10 लोगों की जान जा चुकी थी। इस हादसे में मरीज राहुल राज, उनके भाई, दो नर्स, दो डॉक्टर, और दोनों पायलट शामिल थे।
घर में तीन की गई जान
जिस घर पर यह हादसा हुआ, वहां शोभाराम, उनकी पत्नी वेदवती, बेटा रोहताश, बहन सविता, रोहताश की पत्नी रानी, और भांजा यश रहते थे। उस रात शोभाराम, रोहताश, और यश नीचे सो रहे थे, जबकि वेदवती, सविता, और रानी छत पर सोने चली गईं। उन्हें नहीं पता था कि यह उनकी जिंदगी की आखिरी रात होगी। विमान के पंखों ने तीनों को मौत के आगोश में ले लिया। आज इस घर में केवल रोहताश और उनका भांजा यश बचे हैं। शोभाराम की मौत 2015 में बीमारी के कारण हो गई थी। इस तरह, छह सदस्यों वाले परिवार में से तीन की जान इस हादसे में चली गई।
“वह रात याद नहीं करना चाहते”
रोहताश सहरावत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “वह 25 मई की रात को कभी भी याद नहीं करना चाहते। वह रात उनके लिए सबसे बुरी रात थी, क्योंकि उस रात ने उनसे उनकी मां, बहन और पत्नी को छीन लिया था।” उन्होंने बताया कि तत्कालीन सरकार ने घर को ठीक करवाने और एक सरकारी नौकरी देने के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन आज तक न कोई मुआवजा मिला और न ही किसी को सरकारी नौकरी दी गई।