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अहमदाबाद विमान दुर्घटना: सेल्फी लेने की प्रवृत्ति पर उठे सवाल

अहमदाबाद में 12 जून 2025 को एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, शहर में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन इस त्रासदी के बीच, लोगों की भीड़ दुर्घटना स्थल पर सेल्फी लेने के लिए उमड़ पड़ी। इस घटना ने 'आपदा पर्यटन' की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर किया है, जिससे समाज की नैतिकता और संवेदनशीलता पर सवाल उठते हैं। जानें इस घटना के बारे में और स्थानीय निवासियों की चिंताओं के बारे में।
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अहमदाबाद विमान दुर्घटना: सेल्फी लेने की प्रवृत्ति पर उठे सवाल

दुर्घटना के बाद शोक और सेल्फी का अजीब मेल

12 जून 2025 को अहमदाबाद में बी.जे. मेडिकल कॉलेज छात्रावास के पास एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के दुर्घटनाग्रस्त होने से पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन इस दुखद घटना के साथ एक और चौंकाने वाली बात सामने आई, जब लोग दुर्घटना स्थल पर सेल्फी लेने और वीडियो बनाने के लिए उमड़ पड़े।


दुर्घटनास्थल पर भीड़ का जमावड़ा

शुक्रवार को मेघानी नगर में बी.जे. मेडिकल कॉलेज के पास सैकड़ों लोग दुर्घटना स्थल पर पहुंचे। इनमें से अधिकांश लोग विमान के पीछे के हिस्से की तस्वीरें लेना चाहते थे, जो हॉस्टल की इमारत में फंसा हुआ था। गर्मी के बावजूद, लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए दुर्घटना स्थल के करीब पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। कुछ लोग तो मलबे के पास जाकर सेल्फी लेने का प्रयास कर रहे थे, जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया।


पुलिस की चुनौतियाँ

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि बड़ी संख्या में युवा लोग वहां आ रहे थे, और उन्हें नियंत्रित करना बेहद कठिन हो रहा था। पुलिस ने लोगों से अनुरोध किया कि वे वहां से चले जाएं, क्योंकि प्रवेश प्रतिबंधित था। फिर भी, लोग दुर्घटना स्थल के पास पहुंचने के लिए प्रयासरत थे।


स्थानीय निवासियों की चिंताएँ

मेघानी नगर के ब्लॉक 1 में रहने वाले आदित्य पटानी ने कहा कि उन्हें अपनी छत पर लोगों को जाने से रोकने में काफी मुश्किल हुई। छत से विमान के पीछे का दृश्य स्पष्ट था और बहुत से लोग इमारत की ओर आकर्षित हो रहे थे। इसलिए, उन्होंने छत को बंद कर दिया और किसी भी अनजान व्यक्ति को इमारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी।


आपदा पर्यटन पर चिंता

यह घटना 'आपदा पर्यटन' की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है, जहां लोग आपदाओं के स्थलों पर जाकर सेल्फी लेते हैं और वीडियो बनाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति संवेदनहीनता और असंवेदनशीलता को दर्शाती है। ऐसी घटनाओं के स्थलों पर जाकर सेल्फी लेना न केवल पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति असंवेदनशीलता है, बल्कि यह समाज की नैतिकता और संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाता है।


नैतिकता और जिम्मेदारी की आवश्यकता

इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि समाज को नैतिकता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। आपदा स्थलों पर जाकर सेल्फी लेना और वीडियो बनाना न केवल पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता है, बल्कि यह समाज की संवेदनशीलता और नैतिकता पर भी सवाल उठाता है। हमें चाहिए कि हम ऐसी घटनाओं के प्रति संवेदनशील रहें और पीड़ितों के प्रति सहानुभूति और सम्मान दिखाएं।