आधुनिक बीज उपचार तकनीक: पैदावार बढ़ाने और रोगों से बचाने के उपाय

आधुनिक बीज उपचार तकनीक: पैदावार बढ़ाने और रोगों से बचाने के उपाय
आधुनिक बीज उपचार तकनीकें: पैदावार बढ़ाने और रोगों से बचाने के उपाय: आधुनिक बीज उपचार तकनीकें खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं। ये तकनीकें स्वस्थ बीजों की सुनिश्चितता करती हैं।
इनसे फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। फसल रोगों का खतरा कम होता है। इसके अलावा, ये पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा जैसे संस्थान किसानों को इन तकनीकों का प्रशिक्षण दे रहे हैं। ये उपाय आत्मनिर्भर किसानों को बनाने में सहायक होंगे। आइए, इन तकनीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
रासायनिक उपचार: परंपरा और प्रभाव
रासायनिक बीज उपचार लंबे समय से प्रभावी साबित हो रहा है। कवकनाशी जैसे कार्बेंडाज़िम और थिरम बीजों को फफूंद से बचाते हैं। धान की नर्सरी में ब्लास्ट और जड़ सड़न को रोकने में मदद करते हैं।
कीटनाशी जैसे इमिडाक्लोप्रिड दीमक और लीफहॉपर से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह पौधों को शुरुआती चरण में मजबूत बनाता है। सही मात्रा में उपयोग करना आवश्यक है। आधुनिक बीज उपचार तकनीक में रासायनिक तरीके अभी भी महत्वपूर्ण हैं।
जैविक उपचार: प्रकृति का साथ
जैविक बीज उपचार पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है। ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास जैसे सूक्ष्मजीव रोगजनकों को रोकते हैं और पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।
एज़ोस्पिरिलम जैसे PGPR बीज अंकुरण को तेज करते हैं और पोषण उपलब्ध कराते हैं। जैविक तरीके रसायनों पर निर्भरता को कम करते हैं। किसान इन्हें अपनाकर पर्यावरण स्थिरता में योगदान कर सकते हैं। आधुनिक बीज उपचार तकनीक में जैविक विधियां तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
भौतिक और प्राइमिंग तकनीक
भौतिक उपचार में गर्म जल या ऊष्मीय विधियों का उपयोग किया जाता है। ये बिना रसायनों के रोगजनकों को समाप्त करते हैं। प्राइमिंग तकनीकें बीजों की शक्ति को बढ़ाती हैं।
हाइड्रोप्राइमिंग में बीजों को पानी में भिगोया जाता है। ऑस्मोप्राइमिंग तनाव सहनशीलता को बढ़ाता है। न्यूट्रीप्राइमिंग में जिंक जैसे पोषक तत्व दिए जाते हैं। ये तरीके अंकुरण को तेज करते हैं। आधुनिक बीज उपचार तकनीक भविष्य की दिशा दिखाती हैं।
नैनो और एकीकृत उपचार
नैनो-आधारित उपचार खेती का भविष्य है। नैनो-उर्वरक और नैनो-पेस्टीसाइड कम मात्रा में अधिक प्रभावी होते हैं। नैनो-प्राइमिंग अंकुरण दर को सुधारता है। एकीकृत बीज उपचार में रासायनिक, जैविक और भौतिक तरीकों का संयोजन होता है। उदाहरण के लिए, कवकनाशी के बाद जैव-प्राइमिंग और पोषक कोटिंग की जाती है। यह पौधों को हर तरह से मजबूत बनाता है। आधुनिक बीज उपचार तकनीकें किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हो सकती हैं।