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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव से घटेगी जनसंख्या: विशेषज्ञ का दावा

एक नए अध्ययन में बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव के कारण 2300 तक दुनिया की जनसंख्या केवल 10 करोड़ रह जाएगी। ओकलाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुभाष काक ने इस विषय पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, जिसमें उन्होंने बताया कि बेरोजगारी के डर से लोग परिवार बढ़ाने से हिचकिचाएंगे। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
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AI और जनसंख्या में गिरावट

दुनिया की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि और फिर स्थिरता पर कई अध्ययन सामने आते रहे हैं, लेकिन हाल ही में एक नया और चौंकाने वाला अनुमान सामने आया है। वर्तमान में 8 अरब की जनसंख्या वाला हमारा ग्रह 2300 तक केवल 10 करोड़ लोगों का निवास स्थान बन सकता है। यह भविष्यवाणी किसी परमाणु हमले के कारण नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव के चलते की गई है।

ओकलाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर सुभाष काक ने इस विषय पर अपनी राय साझा की है। न्यूयॉर्क पोस्ट के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि AI जिस तेजी से मानव श्रम को प्रतिस्थापित कर रहा है, उसका जन्म दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। उनका मानना है कि बेरोजगारी के डर से लोग परिवार बढ़ाने से हिचकिचाएंगे, जिससे जनसंख्या में अप्रत्याशित कमी आएगी।

काक अपनी पुस्तक 'एज ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' में बताते हैं कि भले ही मशीनें और रोबोट संवेदनशील न हों, वे कई कार्यों को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इससे रोजगार संकट उत्पन्न होगा और अंततः यह मानव समाज में जन्म दर को प्रभावित करेगा।

सुभाष काक इस स्थिति को समाज के लिए गंभीर खतरा मानते हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि शायद लोग इस खतरे की गंभीरता को समझ नहीं पा रहे हैं। उनका कहना है कि हमें यह तय करना होगा कि हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है।

अन्य शोधों में भी यह कहा गया है कि 2100 तक दुनिया की जनसंख्या में तेज गिरावट देखने को मिलेगी। अनुमान है कि 2050 के बाद स्थिरता की स्थिति होगी और अगले 50 वर्षों में इसमें कमी आएगी। लेकिन सुभाष काक का मानना है कि यह गिरावट कहीं अधिक तेजी से होगी, जिससे 2300 या 2380 तक वैश्विक जनसंख्या केवल 10 करोड़ तक सीमित हो जाएगी।