इंदिरा गांधी: खाद्य आत्मनिर्भरता की प्रेरणा
इंदिरा गांधी का ऐतिहासिक योगदान
उनकी उपलब्धियों में बैंकों का राष्ट्रीयकरण, महाराजाओं के प्रिवीपर्स का अंत और 1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण शामिल हैं। 1983 में वे गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की अध्यक्ष भी बनीं।
हालांकि, उनके राजनीतिक विरोधी उन्हें आपातकाल का प्रतीक मानते हैं, लेकिन वे स्वतंत्रता आंदोलन की उपज थीं। उन्होंने बाल चरखा संघ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। 1959 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद, उन्होंने 1964 में राज्यसभा का सदस्य बनने का अवसर प्राप्त किया।
जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं, तब खाद्य संकट गंभीर था। 1964-65 में अनाज उत्पादन 8.9 करोड़ टन था, जो घटकर 7.2 करोड़ टन हो गया। इस कारण भारत को अनाज आयात करना पड़ा।
1967 में इंदिरा गांधी ने खाद्य आत्मनिर्भरता के लिए सभी प्रयास किए। उनके कार्यकाल में अनाज उत्पादन 8 करोड़ टन से बढ़कर 15 करोड़ टन हो गया। यह एक अद्भुत उपलब्धि थी।
उनके प्रयासों से भारत में गेहूं और धान की नई किस्मों का उत्पादन बढ़ा। 1963 में राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना हुई, और 1969 में राज्य फार्म निगम स्थापित किए गए।
आज भारत सरकार 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान कर रही है, जो इंदिरा गांधी की नीतियों का परिणाम है।
