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इंदौर में नो कार डे: अधिकारियों ने साइकिल से किया सफर

इंदौर में 22 सितंबर को नो कार डे मनाया गया, जिसमें सभी सरकारी अधिकारी और नागरिक साइकिल, स्कूटी या पैदल अपने दफ्तर पहुंचे। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और कारों के उपयोग को कम करना है। पिछले वर्षों में इस अभियान ने ईंधन की बचत और वायु गुणवत्ता में सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जानें इस दिन के महत्व और अधिकारियों की भागीदारी के बारे में।
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इंदौर में नो कार डे: अधिकारियों ने साइकिल से किया सफर

नो कार डे का आयोजन

इंदौर में 22 सितंबर को पिछले आठ वर्षों से स्वच्छता के प्रतीक के रूप में नो कार डे मनाया जाता है। इस दिन शहर की सड़कों पर कोई भी कार नहीं चलती। कलेक्टर, मेयर, जिला जज और अन्य प्रमुख अधिकारी इस दिन पैदल, साइकिल या स्कूटी से अपने कार्यालय पहुंचे। इस पहल का उद्देश्य कारों के उपयोग को कम करना और पर्यावरण की सुरक्षा को बढ़ावा देना है।


साइकिल से दफ्तर पहुंचे अधिकारी

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अपने सहयोगियों के साथ साइकिल से नगर निगम का दौरा किया। वहीं, हाईकोर्ट के जस्टिस रूसिया और अन्य न्यायाधीश भी साइकिल पर सवार होकर अपने कार्यालय पहुंचे। पुलिस कमिश्नर और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इस दिन कार के बजाय साइकिल का चयन किया।


2023 से शुरू हुआ यह अभियान

इस अभियान की शुरुआत 2023 में हुई थी, जब मेयर ने शहर के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए लोगों से एक दिन कार का उपयोग न करने की अपील की थी। हर साल 22 सितंबर को विश्व कार दिवस मनाया जाता है, इसी कारण से नो कार डे मनाने का निर्णय लिया गया।


अभियान के लाभ

ट्रैफिक मित्र संस्था के संस्थापक ऋषभ बागोरा के अनुसार, नो कार डे के कारण 2023 में इंदौर में लगभग 80,000 लीटर ईंधन की बचत हुई। इसके अलावा, वायु गुणवत्ता सूचकांक में 18 प्रतिशत सुधार देखा गया। 2024 में यह आंकड़ा 1.50 लाख लीटर ईंधन की बचत और 38 प्रतिशत वायु गुणवत्ता में सुधार के साथ बढ़ा।


साइक्लोथॉन में भागीदारी

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने नो कार डे पर साइक्लोथॉन में भाग लिया। यह रैली पलासिया से राजवाड़ा होते हुए पलासिया तक आयोजित की गई, जिसमें डीएवीवी के कुलपति राकेश सिंघाई और बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए।