इजरायल-ईरान संघर्ष का वैश्विक तेल बाजार पर प्रभाव

इजरायल-ईरान युद्ध का वैश्विक असर
इजरायल-ईरान संघर्ष: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध का प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, और इस संघर्ष के कारण पिछले तीन वर्षों में एक दिन में सबसे बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइलों से हमले कर रहे हैं, और फिलहाल इस युद्ध के समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। बढ़ती तेल कीमतों ने भारत सहित अन्य देशों के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है। हम इस लेख में जानेंगे कि यह संकट कैसे गहरा हो रहा है और भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि
वैश्विक कच्चे तेल की मांग का 2% हिस्सा ईरान से आता है, जहां खरग द्वीप से लगभग 90% तेल का निर्यात होता है। सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि कच्चे तेल की खेप में कमी आई है, और ईरान ने खरग द्वीप टर्मिनल को भी खाली कर दिया है। हालांकि, होर्मुज जलडमरूमध्य चालू है, जहां से वैश्विक तेल का लगभग 20% हिस्सा भेजा जाता है। यदि इजरायल और अमेरिका का दबाव बढ़ता है, तो ईरान तेल की आपूर्ति रोक सकता है। इसके अलावा, खाड़ी के अन्य तेल उत्पादक देशों के महत्वपूर्ण स्थान भी ईरानी मिसाइलों की पहुंच में हैं। यदि तेल की आपूर्ति बाधित होती है, तो भारत सहित कई देशों को संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि हो सकती है।
सऊदी अरब और यूएई पर निर्भरता बढ़ेगी
सऊदी और यूएई पर बढ़ेगी निर्भरता
यदि ईरान से तेल की आपूर्ति बंद होती है, तो दुनिया की सऊदी अरब और यूएई पर निर्भरता बढ़ जाएगी। अनुमान है कि ये दोनों देश प्रतिदिन 30 से 40 लाख बैरल अतिरिक्त कच्चे तेल का उत्पादन कर सकते हैं। सऊदी अरब एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है, और 2024 में सऊदी अरामको का उत्पादन 12.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन था। इसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल भंडार है, जो 267 बिलियन बैरल से अधिक है।
ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है
ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को कर सकता है बंद
यदि पूर्ण युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है, तो ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। इस जलडमरूमध्य के माध्यम से दुनिया की 20% प्राकृतिक गैस और एक तिहाई तेल का परिवहन होता है। यदि यह मार्ग बाधित होता है, तो कच्चे तेल की कीमतों में 20% तक की वृद्धि हो सकती है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, इराक, सऊदी अरब, कुवैत और यूएई से आने वाला कच्चा तेल, जो होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 45-50% है।
भारत पर प्रभाव
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 से 88% हिस्सा विदेशों से खरीदता है। 2023-24 में सबसे ज्यादा खरीद इराक, सऊदी अरब, रूस और यूएई से हुई। ICRA ने चेतावनी दी है कि यदि होर्मुज जलडमरूमध्य से तेल और गैस की आपूर्ति में व्यवधान आता है, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे तेल आयात बिल और चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ने की संभावना है। ICRA का अनुमान है कि यदि कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होती है, तो भारत का तेल आयात बिल 13-14 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।