इजरायल-ईरान संघर्ष: क्या मिसाइलों की कमी युद्ध विराम की ओर ले जाएगी?

मिसाइलों की कमी का संकट
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में मिसाइलों की स्थिति अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गई है। एक प्रमुख अमेरिकी समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के पास केवल 10 से 12 दिनों तक चलने लायक एयर डिफेंस मिसाइलें बची हैं। यदि अमेरिका से त्वरित सहायता नहीं मिलती, तो इजरायल की सुरक्षा प्रणाली संकट में पड़ सकती है।
ईरान की मिसाइल बौछार और इजरायल की चिंता
हाल के दिनों में ईरान और इजरायल के बीच मिसाइलों का ताबड़तोड़ आदान-प्रदान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल की एयर डिफेंस प्रणाली ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में जुटी है, लेकिन अब सवाल यह है कि इजरायल इस संघर्ष को कब तक जारी रख सकेगा। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका की मदद के बिना, इजरायल केवल कुछ ही दिनों तक ईरान के मिसाइल हमलों का सामना कर सकता है।
ईरान का हमला और इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायली सेना के अनुसार, ईरान ने अपने स्टॉक से लगभग 400 मिसाइलें लॉन्च की हैं। वहीं, इजरायली हमलों में ईरान के 120 मिसाइल लॉन्चर नष्ट कर दिए गए हैं, जो ईरान की मारक क्षमता को कम करने में महत्वपूर्ण कदम है।
क्या 2014 जैसी स्थिति दोबारा आएगी?
इजरायली मिसाइल विशेषज्ञ ताल इनबार ने बताया कि 2014 में हमास के साथ युद्ध के दौरान, एयर डिफेंस इंटरसेप्टर खत्म होने से पहले इजरायल को सीजफायर की मांग करनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि इस बार भी इंटरसेप्टर स्टॉक का स्तर एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है और यह युद्ध विराम का कारण बन सकता है।
क्या ईरान को मिलेगा लाभ?
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के पास भूमिगत गोदामों में हजारों मिसाइलें मौजूद हैं। यदि ईरान लगातार हमले जारी रखता है, तो यह इजरायल के लिए भारी पड़ सकता है। हालांकि, हाल ही में ईरान ने 150 से अधिक मिसाइलें दागी थीं, लेकिन मंगलवार तक यह संख्या घटकर केवल 10 रह गई, जो यह दर्शाता है कि ईरान भी अपनी मारक क्षमता को लेकर सतर्क है।
आगे क्या होगा?
वर्तमान में, यह स्पष्ट है कि इजरायल और ईरान दोनों के सामने मिसाइल स्टॉक और रणनीतिक बढ़त की जंग है। इस टकराव का आगे क्या मोड़ आएगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।