इजरायल-ईरान संघर्ष: वैश्विक समर्थन और खामोशी के पीछे के कारण

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष का वैश्विक प्रभाव
इजरायल-ईरान युद्ध का वैश्विक प्रभाव: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने पूरी दुनिया को दो खेमों में बांट दिया है। ईरान के खिलाफ इजरायल का समर्थन अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, मैक्सिको, इंग्लैंड, अजरबैजान जैसे देशों द्वारा किया जा रहा है। वहीं, ईरान के समर्थन में चीन, रूस, पाकिस्तान, लेबनान, उत्तर कोरिया, आर्मेनिया, बेलारूस और यमन खड़े हैं। एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि अमेरिका ने इजरायल की सहायता के लिए अपनी सेना को मैदान में उतार दिया है। अमेरिका ने ईरान पर हमले की तैयारी कर ली है और अपने सबसे खतरनाक बमवर्षक B-2 स्पिरिट को ईरान के निकट स्थित बेस पर तैनात किया है। यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला किया, तो वह ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई और फोर्डो परमाणु केंद्र को नष्ट कर सकता है। अन्य देश भी अमेरिका का साथ देने के लिए तैयार हो सकते हैं, यदि संघर्ष बढ़ता है।
ईरान के समर्थक देशों की स्थिति
ईरान के संदर्भ में, चीन और रूस ने ईरान का समर्थन करने का वादा किया है, लेकिन उनके दावे वास्तविकता में नहीं उतर रहे हैं। दोनों देश अपनी सेनाओं को युद्ध में उतारने के लिए तैयार नहीं दिखते। ईरान ने कहा था कि यदि इजरायल ने उस पर न्यूक्लियर हमला किया, तो पाकिस्तान भी जवाबी हमला करेगा, लेकिन पाकिस्तान ने इस दावे को खारिज कर दिया। लेबनान की संसद में स्पीकर और हिजबुल्लाह के करीबी लोगों ने कहा है कि इजरायल को अधिक सहायता की आवश्यकता है। कोई भी देश इजरायल के खिलाफ ईरान का समर्थन करने के लिए सीधे युद्ध में शामिल होने को तैयार नहीं है। क्या चीन और रूस की चुप्पी वैश्विक संकट का संकेत है? क्या ईरान इसलिए अकेला पड़ रहा है क्योंकि यदि वहां सत्ता परिवर्तन होता है, तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे?
ईरान के खेमे में खामोशी के कारण
आइए जानते हैं कि ईरान के खेमे में खामोशी क्यों है?
1. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की सत्ता चली जाती है, तो इससे न केवल ईरान को नुकसान होगा, बल्कि रूस और चीन भी एक महत्वपूर्ण सहयोगी खो देंगे। यह तीनों देश लंबे समय से पश्चिम विरोधी खेमे में हैं और एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं।
2. यदि ईरान में सत्ता परिवर्तन होता है, तो मध्य पूर्व में अस्थिरता और बढ़ेगी, जिससे चीन को आर्थिक नुकसान होगा। ईरान, पश्चिम एशिया में रूस और चीन के लिए ऊर्जा आपूर्ति और सैन्य सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यदि खामेनेई सत्ता से हटते हैं, तो चीन और रूस को कई क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
3. रूस पहले ही अपने मित्र सीरिया को खो चुका है। पिछले साल सीरिया में बशर-अल-असद की सरकार का पतन हुआ था, जिससे रूस को बड़ा झटका लगा। यदि ईरान में भी सत्ता परिवर्तन होता है, तो यह रूस की कूटनीतिक हार होगी। रूस यूक्रेन पर नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि चीन ताइवान पर कब्जा करने की योजना बना रहा है। यदि दोनों देश मध्य पूर्व में व्यस्त हो जाते हैं, तो उनके हाथ से कई अवसर निकल जाएंगे।