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इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश: आपत्तिजनक वीडियो हटाने के लिए सोशल मीडिया को नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जगतगुरु रामभद्राचार्य से जुड़े विवादास्पद वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता शरद चंद्र ने आरोप लगाया कि इन वीडियो के माध्यम से उनके खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री फैलाई जा रही है। कोर्ट ने प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। जानें इस मामले में कोर्ट के आदेश और याचिकाकर्ता की चिंताओं के बारे में।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश: आपत्तिजनक वीडियो हटाने के लिए सोशल मीडिया को नोटिस

कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जगतगुरु रामभद्राचार्य से संबंधित विवादास्पद वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्रमुख प्लेटफार्मों को नोटिस जारी किया है और उनसे एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। यह आदेश याचिकाकर्ता शरद चंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया।


याचिकाकर्ता का दावा

याचिकाकर्ता शरद चंद्र ने आरोप लगाया कि स्वामी रामभद्राचार्य के पुराने मामलों का हवाला देकर उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री फैलाई जा रही है। उन्होंने विशेष रूप से रामभद्राचार्य की दिव्यांगता का अपमान करने वाले वीडियो का उल्लेख किया और इनको तुरंत हटाने की मांग की। याचिका में यह भी कहा गया कि ऐसे वीडियो न केवल व्यक्तिगत सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी अस्वीकार्य हैं।


सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए निर्देश

कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को इन आपत्तिजनक वीडियो को तुरंत हटाना होगा। इसके साथ ही, कोर्ट ने इन प्लेटफार्मों से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब मांगा है कि उन्होंने याचिकाकर्ता की शिकायत पर क्या कार्रवाई की और भविष्य में ऐसे कंटेंट को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।


गलत संदेश का प्रभाव

रामभद्राचार्य, जो कि दिव्यांग जगतगुरु हैं और शिक्षा व समाजसेवा के लिए प्रसिद्ध हैं, उनके खिलाफ वायरल हो रहे वीडियो सामाजिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील माने जा रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि इन वीडियो के कारण समाज में गलत संदेश फैल रहा है और इसे रोकना आवश्यक है।


याचिकाकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई

सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए यह आदेश चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि उन्हें न केवल वायरल कंटेंट हटाना होगा, बल्कि यह भी साबित करना होगा कि उन्होंने याचिकाकर्ता की शिकायत पर उचित कदम उठाए। इससे पहले भी कई मामलों में हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने का निर्देश दिया है। भारत में अक्सर धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने वाले कंटेंट पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। हाई कोर्ट का यह कदम इसी दिशा में एक सख्त संदेश माना जा रहा है।