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ईरान-इजरायल संघर्ष: तेहरान की चेतावनी और परमाणु वार्ता में बाधा

ईरान ने इजरायल पर हमले जारी रखने की चेतावनी दी है, जब तक यह अपने सैन्य अभियानों को समाप्त नहीं करता। तेहरान का कहना है कि उसकी कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत है। इस बीच, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने इजरायल के साथ संघर्ष को अन्य देशों में फैलाने से बचने की इच्छा जताई है। उन्होंने इजरायल के हालिया हमलों की कड़ी आलोचना की है, जिसमें परमाणु स्थलों को निशाना बनाया गया। ईरान का आरोप है कि इजरायल अमेरिका के समर्थन से यह सब कर रहा है। जानें इस जटिल स्थिति के बारे में और क्या हो सकता है आगे।
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ईरान-इजरायल संघर्ष: तेहरान की चेतावनी और परमाणु वार्ता में बाधा

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान ने रविवार को स्पष्ट किया कि वह इजरायल पर अपने हमले तब तक जारी रखेगा जब तक यहूदी राज्य अपने सैन्य अभियानों को समाप्त नहीं करता। तेहरान का कहना है कि उसकी कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत है और वह संघर्ष को बढ़ाने का इरादा नहीं रखता। यह बयान तब आया जब शनिवार रात से रविवार रात तक ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बौछार की, जिसमें बच्चों सहित दस लोग मारे गए और लगभग 200 लोग घायल हुए, जैसा कि इजरायली आपातकालीन सेवाओं ने बताया।


संघर्ष का विस्तार

संघर्ष के विस्तार का खतरा


ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने कहा कि उनका देश इजरायल के साथ संघर्ष को अन्य पड़ोसी देशों में नहीं फैलाना चाहता, जब तक कि स्थिति मजबूर न हो। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इजरायल ने संघर्ष को फारस की खाड़ी तक बढ़ाने का प्रयास किया, तो यह एक बड़ी रणनीतिक गलती होगी। अराक्ची ने इजरायल के हालिया हमलों की कड़ी निंदा की, जिसमें ईरान के परमाणु स्थलों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया।


इजरायल का हमला

इजरायल का परमाणु स्थल पर हमला


तेहरान ने इजरायल पर आरोप लगाया है कि उसने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करके एक 'नई लाल रेखा' पार कर दी है। अराक्ची ने कहा कि यह कदम अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और यह 'जायोनी शासन' द्वारा परमाणु सुविधाओं पर हमले का हिस्सा है। ईरान ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।


परमाणु वार्ता में रुकावट

परमाणु वार्ता में रुकावट


ईरान ने इजरायल पर आरोप लगाया है कि वह ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु वार्ता को विफल करने की कोशिश कर रहा है, जो दोनों देशों के बीच एक समझौते का रास्ता खोल सकता था। हाल ही में तनाव बढ़ने के कारण यह वार्ता रद्द कर दी गई थी। अराक्ची ने कहा कि इजरायल का उद्देश्य इस वार्ता को पटरी से उतारना है ताकि परमाणु समझौते की कोई संभावना न बने।


अमेरिकी भूमिका पर आरोप

अमेरिकी भूमिका पर आरोप


ईरान ने यह भी कहा कि इजरायल की आक्रामकता में अमेरिकी सेना का समर्थन था। अराक्ची ने कहा कि उनके पास ठोस सबूत हैं कि इजरायल के हमलों को अमेरिकी सेना और ठिकानों का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने आरोप लगाया कि वाशिंगटन की अनुमति के बिना इजरायल की आक्रामकता संभव नहीं हो सकती। ईरान ने यह भी कहा कि वह अमेरिकी बयानों पर विश्वास नहीं करता, जिसमें कहा गया था कि हाल के हमलों में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।


पश्चिमी देशों की आलोचना

पश्चिमी देशों की आलोचना


ईरान के विदेश मंत्री ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भी आलोचना की और इसे इस्लामिक गणराज्य पर इजरायल के हमलों के प्रति 'उदासीनता' का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने इजरायल की आक्रामकता के बजाय ईरान की निंदा की, जबकि यह वह पक्ष था जिसका उल्लंघन किया गया था। अराक्ची ने कहा कि यदि अमेरिका अपनी सद्भावना साबित करना चाहता है, तो उसे ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर इजरायल के हमलों की निंदा करनी चाहिए।