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ईरान-इजरायल संघर्ष: होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका की भागीदारी के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ईरानी संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का निर्णय लिया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो रही है। इस निर्णय का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह जानना महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत का तेल आयात बिल और जीडीपी ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा जा रहा है।
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ईरान-इजरायल संघर्ष: होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

ईरान-इजरायल युद्ध की स्थिति

ईरान-इजरायल युद्ध: अमेरिका की भागीदारी के बाद ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष की स्थिति और भी गंभीर हो गई है। दोनों देश एक-दूसरे पर निरंतर हवाई हमले कर रहे हैं। इस बीच, ईरान के एक निर्णय ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। ईरानी संसद ने हाल ही में कच्चे तेल के व्यापार के लिए महत्वपूर्ण जलमार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का निर्णय लिया है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय अभी आना बाकी है, जिसके चलते आज कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गई है।


भारत पर प्रभाव

भारत पर असर

होर्मुज जलडमरूमध्य के निर्णय का प्रभाव आज कच्चे तेल की कीमतों पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। वर्तमान में, भारत में कच्चा तेल लगभग 2% की वृद्धि के साथ 6,525.00 रुपये प्रति बैरल पर पहुंच गया है। पिछले दिन की तुलना में इसमें लगभग 120 रुपये प्रति बैरल की वृद्धि हुई है। यदि खामेनेई इस निर्णय को मंजूरी देते हैं, तो कच्चे तेल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। इससे भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह समझना आवश्यक है।


चीन और जापान का प्रमुख आयातक होना

चीन और जापान ने किया सबसे ज्यादा आयात

अमेरिका से लेकर अफ्रीका तक के देश होर्मुज जलडमरूमध्य पर निर्भर हैं। आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में होर्मुज से सबसे अधिक आयात चीन और जापान ने किया है।

रिसर्च फर्म आईसीआरए के अनुसार, भारत इराक, सऊदी अरब, कुवैत और यूएई जैसे देशों से 45-50% कच्चा तेल आयात करता है। विशेष रूप से, 2025 में भारत के कुल कच्चे तेल के आयात में रूस की हिस्सेदारी 36% थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि होती है, तो भारत का तेल आयात बिल सालाना 13-14 अरब डॉलर बढ़ सकता है। इससे देश के जीडीपी के चालू खाता घाटे (सीएडी) में 0.3% की वृद्धि हो सकती है।


जीडीपी ग्रोथ पर प्रभाव

जीडीपी ग्रोथ पर असर

आईसीआरए का कहना है कि यदि 2026 में कच्चे तेल की औसत कीमत 80-90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाती है, तो सीएडी मौजूदा 1.2-1.3% से बढ़कर जीडीपी का 1.5-1.6% हो सकता है। इससे रुपये पर भी दबाव पड़ेगा और USD/INR की कीमत पर असर पड़ेगा। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमत में हर 10% की वृद्धि से थोक मुद्रास्फीति (WPI) में 0.8-1% और उपभोक्ता मुद्रास्फीति (CPI) में 0.2-0.3% की वृद्धि हो सकती है।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत की जीडीपी ग्रोथ को भी प्रभावित कर सकती हैं। आईसीआरए के अनुसार, यदि कीमतें बढ़ती रहीं, तो भारतीय उद्योगों की लाभप्रदता प्रभावित होगी और 2026 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटकर 6.2% रह सकता है।