उत्तर प्रदेश और बिहार में बाढ़ का कहर: जानें प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति

भारी बारिश से प्रभावित जनजीवन
उत्तर प्रदेश और बिहार के कई क्षेत्रों में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसका प्रभाव प्रयागराज से लेकर बंगाल की खाड़ी तक देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश की सहायक नदियों से आ रहा अतिरिक्त पानी यूपी और बिहार में गंगा और यमुना के जलस्तर को और बढ़ा रहा है।
यूपी के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित
उत्तर प्रदेश के 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिनमें से 16 जिले गंगा-यमुना के किनारे स्थित हैं। प्रयागराज से बलिया तक गंगा के किनारे बसे इलाके जलमग्न हो चुके हैं। प्रयागराज के सलोरी, राजापुर, दारागंज और बघाड़ा जैसे क्षेत्र पूरी तरह डूब गए हैं। मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और बलिया में भी स्थिति गंभीर है, लेकिन प्रयागराज में हालात सबसे खराब हैं। संगम नगरी, जहां कुछ महीने पहले जगह नहीं थी, अब पानी से भरी हुई है। राज्य में बाढ़ के कारण अब तक 12 लोगों की जान जा चुकी है।
प्रयागराज में बाढ़ की गंभीरता
प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम के बाद के क्षेत्रों में स्थिति अत्यंत गंभीर है। संगम के बाद गंगा में यमुना का पानी मिल चुका है, और इस समय यमुना में मध्य प्रदेश और राजस्थान का भी पानी शामिल है। मिर्जापुर से बलिया तक गंगा की लहरें खतरनाक हो गई हैं। प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
यमुना किनारे के क्षेत्र भी जलमग्न
यमुना किनारे के क्षेत्र जैसे आगरा, इटावा, औरैया, हमीरपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, बांदा और चित्रकूट भी बाढ़ से प्रभावित हैं। बांदा में केन नदी भी उफान पर है, जो यमुना की सहायक नदी है। फतेहपुर में यमुना की लहरें कई क्षेत्रों को डुबो रही हैं। कई सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं, और आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है। बाढ़ के कारण बिजली की आपूर्ति भी रोक दी गई है।
बिहार में बाढ़ की स्थिति
बिहार के बक्सर, पटना, भोजपुर, सारण, भागलपुर और खगड़िया जैसे जिलों में गंगा का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। बक्सर में गंगा खतरे के निशान से केवल 2 सेमी नीचे है और हर घंटे 1 सेमी की रफ्तार से बढ़ रही है। रामरेखा घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है और कई निचले इलाकों में पानी घरों में घुस चुका है।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अगले दो दिनों में मध्य प्रदेश में भारी वर्षा नहीं होती है, तो जलस्तर में गिरावट आ सकती है। केन और बेतवा नदियों में जल का दबाव कम हो रहा है। हालांकि, यदि अगले 48 घंटों में फिर से भारी बारिश होती है, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
प्रशासन की तैयारियां
राज्य सरकारों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए हैं और एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य जारी है। प्रशासन ने नागरिकों से नदियों और नालों के पास न जाने की अपील की है।
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन
हिमाचल प्रदेश में भी बाढ़ और भूस्खलन के कारण 300 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं। मंडी और कुल्लू जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। अब तक 170 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 36 लोग लापता हैं। राज्य में अगले दो दिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में स्थिति
मध्य प्रदेश में विदिशा, भोपाल और ग्वालियर सहित कई जिलों में एनडीआरएफ और एसडीईआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। राजस्थान के अजमेर में भी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है और स्थानीय प्रशासन सक्रिय है। गुजरात में सरदार सरोवर बांध के गेट खोलने से निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं।