उत्तर प्रदेश की खनन नीति में पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता का समावेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठक में खनन नीति की समीक्षा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया, जिसमें भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की गतिविधियों की समीक्षा की गई। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की खनन नीति अब पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुकी है। खनन क्षेत्र का राज्य की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र अब केवल खनिज उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, निवेश को बढ़ावा देने और स्थानीय रोजगार सृजन का एक प्रभावशाली केंद्र बन गया है।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य को स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (SMRI) में शीर्ष स्थान दिलाने के लिए विभाग ने 70 से अधिक उप-संकेतकों पर ठोस कदम उठाए हैं। सभी खनन जनपदों में 100 प्रतिशत ‘माइन सर्विलांस सिस्टम’ लागू किया गया है। पर्यावरणीय मंजूरियों की औसत अवधि में सुधार हुआ है और नियामकीय प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो गई है। SMRI में ‘कैटेगरी-ए’ की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए बाकी सुधारों को निश्चित समय सीमा में पूरा किया जाना चाहिए।
अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की गतिविधियों पर प्रभावी रोकथाम के लिए ट्रांसपोर्टरों के साथ समन्वय स्थापित कर एक मजबूत निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा। नदी के कैचमेंट एरिया में खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी, और यदि ऐसी गतिविधियां होती हैं, तो जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। केवल मानक GPS युक्त वाहनों को खनिज परिवहन के लिए अधिकृत किया जाएगा और उन्हें वीटीएस मॉड्यूल के माध्यम से रीयल टाइम ट्रैक किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पट्टों की निगरानी और वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के जरिए खनन का वास्तविक आकलन तेज किया जाए। कम्पोजिट लाइसेंस प्रक्रिया को भी गति दी जाए और संभावित खनन क्षेत्रों की पहचान और भू-वैज्ञानिक रिपोर्टों की समयबद्ध तैयारी सुनिश्चित की जाए। इस क्षेत्र को तकनीक-सक्षम बनाते हुए सभी ईंट भट्ठा संचालकों से संवाद कर नवाचारों को जोड़ा जाए। उपखनिजों के नए पट्टों की प्रक्रिया मानसून के दौरान पूरी की जाए, ताकि आगामी 15 अक्टूबर से खनन कार्य शुरू किया जा सके।