उत्तर प्रदेश के शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया

शिक्षकों का ज्ञापन और सुप्रीम कोर्ट का आदेश
लखनऊ। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने आज एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षिकाएं शामिल थे। यह ज्ञापन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित किया गया था। शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध किया, जिसके कारण उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। ज्ञापन में जिलाधिकारी को उन तकनीकी समस्याओं के बारे में भी बताया गया जो इस आदेश के कार्यान्वयन में आ सकती हैं।
शिक्षकों का कहना है कि 1 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने उन सेवारत शिक्षकों के लिए TET को अनिवार्य कर दिया है, जिनकी सेवा अवधि 5 वर्ष से अधिक है। इसका मतलब है कि उन्हें सेवा में बने रहने के लिए अधिकतम दो वर्षों में TET पास करना होगा। जबकि RTE अधिनियम 2009 के तहत 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इस नियम से मुक्त रखा गया था। लेकिन 3 अगस्त 2017 को RTE अधिनियम में संशोधन कर सभी शिक्षकों के लिए TET अनिवार्य कर दिया गया, बिना किसी नोटिस या सूचना के।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस मामले में केवल महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरकार ही पक्षकार थीं, जबकि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों को इसमें शामिल नहीं किया गया। न्यायालय ने धारा 142 की शक्तियों का उपयोग करते हुए एक देशव्यापी निर्णय दिया, जिससे लाखों शिक्षकों, विशेषकर उत्तर प्रदेश के लगभग 2,50,000 शिक्षक परिवारों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। यदि 1 सितंबर 2025 तक TET की योग्यता पूरी नहीं होती है, तो ये शिक्षक परिवार भुखमरी की कगार पर होंगे।
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अनुसार, विभाग में शिक्षकों की भर्तियां विभिन्न मानकों पर की गई हैं। कुछ शिक्षक TET परीक्षा देने के लिए आवश्यक योग्यता नहीं रखते। न्यायालय के निर्णय से शिक्षकों में मानसिक तनाव बढ़ गया है, जिससे शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। TET को सेवारत शिक्षकों पर लागू करने से प्रदेश के लाखों शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं, जिससे बेसिक शिक्षा विभाग की छवि पर असर पड़ रहा है।
जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि न्यायालय का निर्णय नैतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने अनुरोध किया कि शिक्षकों को सेवा और पदोन्नति में TET से मुक्त रखा जाए और आवश्यकतानुसार अधिनियम में संशोधन किया जाए, ताकि शिक्षकों को मानसिक तनाव से बचाया जा सके और शिक्षकों तथा छात्रों के हितों की रक्षा हो सके।
इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष सुरेश जायसवाल, मंत्री विनोद कुमार राय, कोषाध्यक्ष प्रणय कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश चंद्र तिवारी, और अन्य सदस्य उपस्थित थे।