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उत्तर प्रदेश में औद्योगिक हब के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने 750 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय लिया है। संडीला औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार चार गांवों में किया जाएगा, जहां 75% किसान सहमति पत्र दे चुके हैं। हालांकि, किसानों ने मुआवजे को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और कैसे यह औद्योगिक क्षेत्र के विकास में सहायक होगा।
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उत्तर प्रदेश में औद्योगिक हब के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू

औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम


उत्तर प्रदेश समाचार: उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रदेश में औद्योगिक हब के विस्तार के लिए 750 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जो इस दिशा में एक बड़ा प्रयास है। 


संडीला औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार

संडीला औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार चार गांवों में किया जाएगा। अब तक 75% किसान सहमति पत्र दे चुके हैं। पहले मुआवजे की दर को लेकर किसानों और अधिकारियों के बीच विवाद था, लेकिन अब 900 किसानों ने भूमि अधिग्रहण पर सहमति दी है, जिससे 750 एकड़ भूमि का अधिग्रहण आसान हो गया है। प्रशासन अब अगली कार्रवाई करेगा। औद्योगिक क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने के लिए भूमि की कमी को देखते हुए, राज्य ने चार गांवों से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें किसानों से सहमति पत्र लिए जा रहे हैं।


किसानों की चिंताएं

बेशकीमती जमीनें क्यों देंगे

औद्योगिक क्षेत्र के सभी चरणों में भूमि की कमी थी, इसलिए जनवरी 2024 में यूपीसीडा कानपुर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा ने तहसील प्रशासन को पत्र भेजकर औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार के लिए ग्राम रैसों, बघुआमऊ, जमसारा और समोधा के किसानों से भूमि लेने का आदेश दिया। 15 मार्च 2025 को यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चर्चित गौड़, आरएम अजय दीप, तहसीलदार निखिलेश और एसडीएम डा. अरुणिमा श्रीवास्तव की उपस्थिति में किसानों की एक बैठक हुई। किसानों ने कहा कि स्थानीय बाजार मूल्य लगभग एक करोड़ पच्चीस हजार प्रति बीघा है, इसलिए वे सर्किल रेट पर अपनी बेशकीमती जमीनें क्यों देंगे. 


मुआवजे की मांग

किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। किसान चाहते थे कि चारों गांवों की जमीनों का बाजार मूल्य दोगुना किया जाए। हालांकि, सीडा अधिकारी इस पर सहमत नहीं थे। किसानों और अधिकारियों के बीच कई बार बातचीत हुई, लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका। तहसील प्रशासन ने किसानों से लगातार बातचीत की, जिसके परिणामस्वरूप रैसों, बघुआमऊ, जमसारा और समोधा के 1,200 किसानों में से 900 ने भूमि अधिग्रहण पर सहमति दी है। इन किसानों के पास लगभग 750 एकड़ भूमि है।


भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार

भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार

जिस क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण हो रहा है, वहां के प्रभावित किसानों में से 70 प्रतिशत किसान लिखित रूप से भूमि देने के लिए राजी नहीं होते, तब तक सरकार भूमि अधिग्रहण नहीं कर सकती। चारों गांवों के लगभग 75 प्रतिशत किसान लिखित रूप से सहमति दे चुके हैं, जिससे अधिग्रहण की प्रक्रिया सरल हो गई है।