उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों के विलय पर सियासी विवाद बढ़ा

प्राथमिक विद्यालयों के विलय पर उठे सवाल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों के विलय की नीति को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शामिल हैं। कई स्थानों पर इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने इस पर तीखा हमला किया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, वास्तव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार सरकारी स्कूलों का विलय नहीं, बल्कि गरीब बच्चों के सपनों का नाश कर रही है। वह इस मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं और प्राथमिक विद्यालयों के विलय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
असल में @myogiadityanath की बीजेपी सरकार सरकारी स्कूलों का मर्जर नहीं गरीबों के बच्चों के सपनों का मर्डर कर रही है..
— Pushpendra Saroj (@Pushpendra_MP_) July 6, 2025
हाल ही में सपा नेता शिवपाल यादव ने भी इस निर्णय का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि, शिक्षा का ‘विलय’ नहीं, यह तो भविष्य का वध है! भाजपा सरकार ने हजारों प्राथमिक विद्यालयों को जबरन मिलाकर शिक्षा को कागज़ों में समेट दिया है। बच्चे भटक रहे हैं, और स्कूलों की संख्या घट रही है। सरकार का कहना है कि, ‘जहां बच्चे कम हैं, वहां स्कूल बंद कर बड़े स्कूल में मिला दो।’ सवाल यह है: बच्चे कम क्यों हैं? क्योंकि शिक्षक नहीं हैं, सुविधाएं नहीं हैं, और सरकार खुद स्कूलों को वीरान कर रही है — अब ताला भी लगा दिया है!
गाँव का स्कूल किसी बच्चे के जीवन की शुरुआत होती है। वहीं से वह पहला शब्द पढ़ता है, पहला सपना देखता है। अब वह बच्चा रोज़ 3-5 किमी पैदल जाएगा, या स्कूल छोड़ेगा—यह तय कर दिया है ‘डबल इंजन’ सरकार ने। आज भी हजारों परिवार अपनी बेटियों को दूर स्कूल भेजने से डरते हैं। बेटी बचाओ का ढोंग करने वाले, बेटी पढ़ाओ की जमीन खुद खोद रहे हैं।