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उत्तर प्रदेश में फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़

उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड ने एक बड़े फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो न केवल यूपी में, बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में भी सक्रिय था। गिरोह ने रोहिंग्या, बांग्लादेशी और नेपाली नागरिकों को फर्जी आधार कार्ड उपलब्ध कराए। इस कार्रवाई में कई गिरफ्तारियां हुई हैं और जांच जारी है। जानें इस गिरोह के बारे में और क्या खुलासा हुआ है।
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उत्तर प्रदेश में फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़

फर्जी आधार कार्ड नेटवर्क का खुलासा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने एक बड़े फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह न केवल यूपी में, बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में भी सक्रिय था।

जांच में यह सामने आया कि यह गिरोह रोहिंग्या, बांग्लादेशी और नेपाली नागरिकों को फर्जी आधार कार्ड मुहैया कराता था। गिरोह के सदस्य जन सुविधा केंद्र के सुरक्षा तंत्र को दरकिनार कर विशेष ऐप के माध्यम से आधार कार्ड तैयार करते थे। एक आधार कार्ड के लिए 2,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक की वसूली की जाती थी।

एटीएस के अनुसार, इन फर्जी आधार कार्डों के आधार पर राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक खाते और अन्य सरकारी दस्तावेज बनाए जा रहे थे, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया जा सके।

इस कार्रवाई में आजमगढ़, गोरखपुर, सहारनपुर, मऊ, औरैया, कोलकाता, मुर्शिदाबाद, लखीसराय, कटिहार, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर से कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आगे की गिरफ्तारी की संभावना बनी हुई है और जांच जारी है।

करीब डेढ़ साल पहले रायबरेली के सरेनी ब्लॉक में भी ऐसा ही एक बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ था, जहां 50,000 से अधिक फर्जी आधार कार्ड बरामद किए गए थे और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उस समय ग्राम सचिव और जन सुविधा केंद्र के ऑपरेटर की मिलीभगत का मामला सामने आया था।

एटीएस का कहना है कि दोनों गिरोह अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे थे, लेकिन उनका उद्देश्य एक ही था—फर्जी आधार कार्ड बनाकर सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करना।