उत्तर भारत में बाढ़ और बारिश: जलवायु परिवर्तन का संकेत?
उत्तर भारत में बाढ़ की स्थिति
उत्तर भारत इस समय मूसलधार बारिश और बाढ़ की गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है। यह प्रश्न उठता है कि क्या यह केवल मौसमी आपदा है या जलवायु परिवर्तन का संकेत? दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश तक, हर क्षेत्र में बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। जलस्तर में वृद्धि, सड़कों पर पानी भरना, और घरों का डूबना आम जनजीवन को प्रभावित कर रहा है।दिल्ली और एनसीआर में यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, यह जलस्तर 206.90 मीटर तक पहुँच सकता है। मदनपुर खादर जैसे निचले इलाकों में पानी घरों में घुस चुका है। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे भद्रवाह और डोडा में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई लोग लापता हैं और कुछ की मौत भी हुई है। राज्य प्रशासन स्थिति पर नज़र रखे हुए है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी हैं।
पंजाब की स्थिति और भी गंभीर है, जहाँ सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया गया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 1,400 से अधिक गांवों में पानी भर चुका है और 3.5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। राहत शिविर बनाए गए हैं, लेकिन हालात नियंत्रण में नहीं हैं।
हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर क्षेत्र में हाल ही में भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जिसमें 6 लोगों की जान चली गई है। एसडीएम अमर नेगी ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी हैं। लगातार बारिश के कारण यह क्षेत्र भूस्खलन के लिए और अधिक संवेदनशील हो गया है।