उत्तर भारत में मानसून की बारिश से बाढ़ की स्थिति, प्रशासन ने जारी किए अलर्ट
उत्तर भारत में मानसून का प्रभाव
उत्तर भारत में मानसून की गतिविधियों ने आम जनजीवन को प्रभावित किया है। दिल्ली-एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में शनिवार को हल्की बारिश ने ट्रैफिक जाम की समस्या को बढ़ा दिया, जबकि पर्वतीय राज्यों में भारी बारिश ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर दी है। भारतीय मौसम विभाग ने जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में हल्की से लेकर भारी बारिश के लिए चेतावनी जारी की है।उत्तर प्रदेश के नदी किनारे के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। चंदौली, मऊ, फ़र्रुख़ाबाद, कन्नौज और हापुड़ जिलों की नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। प्रशासन ने इन क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का कार्य शुरू कर दिया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
बिहार में गंगा और बूढ़ी गांडक नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। विशेष रूप से खगड़िया जिले में गंगा नदी खतरे के स्तर से लगभग 2 मीटर ऊपर बह रही है। बूढ़ी गांडक नदी का जलस्तर एनएच-31 पुल के पास 1.73 मीटर अधिक है, जिससे राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई गई है।
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर अचानक बढ़ा है, जो हैथनिकुंड बैराज से निकले पानी के कारण है। प्रशासन ने नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क किया है और सुरक्षित स्थानों पर जाने का निर्देश दिया है। साउंड सिस्टम के माध्यम से जनता को बार-बार चेतावनी दी जा रही है कि वे अपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।
दिल्ली ने शनिवार को पिछले 14 वर्षों में अगस्त का सबसे ठंडा दिन अनुभव किया, जहां अधिकतम तापमान केवल 26.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से लगभग 7.8 डिग्री कम है। 2012 में अगस्त का सबसे कम अधिकतम तापमान 27.9 डिग्री सेल्सियस था।
इस मानसून ने प्रकृति की शक्ति को दर्शाया है और लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। मौसम विभाग के अलर्ट के मद्देनज़र नागरिकों को सावधानी बरतने और प्रशासन के संपर्क में रहने की सलाह दी जा रही है।