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उत्तर भारत में सर्दी का असर: फसलों पर पाले का खतरा

उत्तर भारत में सर्दी का असर बढ़ता जा रहा है, जिससे खेतों में खड़ी फसलों पर पाले का खतरा मंडरा रहा है। न्यूनतम तापमान गिरने से फसलों को गंभीर नुकसान हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पाला कुछ ही घंटों में फसलों को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में पाले के प्रभाव, संवेदनशील फसलों और बचाव के उपायों पर चर्चा की गई है। जानें कैसे किसान समय रहते सतर्कता बरतकर अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं।
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उत्तर भारत में सर्दी का असर: फसलों पर पाले का खतरा

सर्दी का बढ़ता प्रभाव

उत्तर भारत में ठंड अब केवल ठिठुरन तक सीमित नहीं रह गई है। जैसे-जैसे रात का तापमान गिरता जा रहा है, खेतों में खड़ी फसलों पर पाले का खतरा बढ़ता जा रहा है। कई क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान शून्य डिग्री के आसपास पहुंच गया है, जिससे नमी बर्फ में बदलने लगती है। यह स्थिति किसानों के लिए अत्यधिक हानिकारक मानी जाती है।


पाले का प्रभाव और फसलों को नुकसान

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पाला कुछ ही घंटों में फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। हरी-भरी फसलें सुबह तक मुरझा जाती हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होते हैं।


पाले का परिचय और फसलों पर प्रभाव

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सबसे अधिक प्रभावित फसलें

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पाले की पहचान और बचाव के उपाय

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लंबे समय के लिए समाधान

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किसानों के लिए जानकारी का महत्व

पाला अचानक आता है और नुकसान भी तेजी से करता है। समय रहते सतर्कता और सही उपाय अपनाने से फसल को बचाया जा सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि थोड़ी सी तैयारी पूरे सीजन की पैदावार और आमदनी को सुरक्षित रख सकती है।