उत्तराखंड में भूस्खलन: पहाड़ी जीवन की चुनौतियाँ

उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाएँ
उत्तराखंड में भूस्खलन: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन हमेशा एक चुनौतीपूर्ण अनुभव होता है। चाहे बारिश हो या न हो, यहां के निवासियों के लिए दरकते पहाड़ और भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। हाल ही में उत्तरकाशी से आए एक डरावने वीडियो ने इस खतरे को और स्पष्ट कर दिया है।
उत्तरकाशी के सोरा सारी रोड पर एक भयानक घटना का वीडियो सामने आया है, जिसमें एक विशाल चट्टान साफ धूप में पहाड़ से टूटकर सड़क पर गिरती हुई दिखाई दे रही है। इस घटना ने सड़क को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया और चारों ओर मलबा बिखर गया। यह वीडियो इतना डरावना है कि इसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह घटना दर्शाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
पहाड़ी इलाकों में जीवन अपने आप में एक चुनौती है। बारिश हो या न हो, दरकते पहाड़ और भूस्खलन का यहां हमेशा खतरा बना रहता है। ताजा वीडियो उत्तरकाशी के सोरा सारी रोड का है। जहां अचानक पहाड़ के दरकने से पूरे रोड पर मलबा बिछ गया. #Uttarakhand #uttarkashi #Landslide pic.twitter.com/9RopPNle75
— GARIMA SINGH (@azad_garima) September 8, 2025
अल्मोड़ा में भूस्खलन की स्थिति
अल्मोड़ा में क्वारब की गंभीर स्थिति
इससे पहले अल्मोड़ा के क्वारब से भी पहाड़ दरकने का एक खौफनाक वीडियो सामने आया था। अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाइवे 109 पर क्वारब पुल के पास सुयाल नदी का तेज बहाव और लगातार भूस्खलन स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत बन चुका है। सड़क बंद होने के कारण वाहनों की आवाजाही ठप हो गई है, और पैदल राहगीरों को जान जोखिम में डालकर चलना पड़ रहा है। हाल ही में एक वायरल वीडियो ने इस स्थिति को और उजागर किया, जिसमें कुछ महिला शिक्षिकाएं टूटी सड़क के पास पहाड़ी रास्ते से गुजर रही थीं। तभी अचानक एक बड़ा पत्थर नीचे गिरा, जो एक शिक्षिका के बगल से गुजरकर खाई में जा गिरा। गनीमत रही कि उनकी जान बाल-बाल बची। इस घटना ने क्षेत्र में भूस्खलन के खतरे को और स्पष्ट कर दिया।
और लोग बोलते हैं — “क्वारब बड़ी समस्या नहीं है। यही होता है जब आप ज़मीन से कटे होते हो।” pic.twitter.com/Wi7ogApdb5
— Anand😎 (@pahadi_musafir) September 4, 2025
स्थायी समाधान की आवश्यकता
स्थायी समाधान की मांग
स्थानीय लोग इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं। जेसीबी चालक, होमगार्ड और पुलिसकर्मी जान हथेली पर रखकर सड़क खोलने का प्रयास कर रहे हैं। 150 मीटर की ऊंचाई से हो रहे भूस्खलन ने सुरक्षात्मक कार्यों को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और भूस्खलन रोकथाम के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है।